Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा के लिए भगवान हनुमान की जन्मस्थली तैयार, रोशनी से जगमगाएगी अंजनाद्रि की पहाड़ी; दो दिनों तक जलेंगे दीये
Ram Mandir राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कर्नाटक में उत्साह का माहौल है। 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के अभिषेक को भव्य बनाने के लिए कोप्पल जिले के अंजनाद्रि मंदिर प्रबंधन भी पूरी तरह तैयार है। कोप्पल जिले में अंजनाद्रि मंदिर प्रबंधन द्वारा राम मंदिर के अभिषेक का जश्न मनाने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है।
पीटीआई, बेंगलुरु। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कर्नाटक में उत्साह का माहौल है। 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के अभिषेक को भव्य बनाने के लिए कोप्पल जिले के अंजनाद्रि मंदिर प्रबंधन भी पूरी तरह तैयार है।
भगवान हनुमान से है इसका नाता
कहा जाता है कि अंजनाद्रि की पहाड़ी पर भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। ये पहाड़ी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी से कुछ ही किलोमीटर दूर कोप्पल जिले में स्थित है। पहाड़ी की चोटी पर एक प्राचीन हनुमान मंदिर है, जो लंगूरों और बंदरों का घर भी है।
राम मंदिर के अभिषेक के लिए अंजनाद्रि मंदिर प्रबंधन तैयार
कोप्पल जिले में अंजनाद्रि मंदिर प्रबंधन द्वारा राम मंदिर के अभिषेक का जश्न मनाने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, रविवार से दो दिनों तक मंदिर में पारंपरिक दीपक जलाए जाएंगे और विशेष पूजा की जाएगी।रोशनी से सजाई जाएगी अंजनाद्रि की पहाड़ी
इसके साथ ही अंजनाद्रि की पहाड़ी को रोशनी से सजाया गया है और उत्सव के मद्देनजर कई अस्थायी दुकानें भी खुली हैं।
यह भी पढ़ें- Ram Mandir की सीढ़ियों से गर्भगृह तक का सफर बेहद अद्भुत, नृत्य मंडप के 8 स्तंभों पर भगवान शिव की विभिन्न मुद्राएंइतिहासकार राघवेंद्र राव कुलकर्णी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम्पी रामायण के किष्किंधा कांड और सुंदर कांड में वर्णित किष्किंधा क्षेत्र है। प्रोफेसर ए. सुंदर ने साबित किया है कि हम्पी और उसके आसपास का क्षेत्र रामायण में वर्णित किष्किंधा क्षेत्र के अनुरूप है।
1.5 लाख वर्षों तक बसा हुआ था ये स्थान
ASI के एक पुरातत्वविद् ने पीटीआई को बताया कि देश भर के पुरातत्वविदों और इतिहासकारों ने सर्वसम्मति से कहा है कि हम्पी किष्किंधा क्षेत्र है। राघवेंद्र राव कुलकर्णी ने बताया कि आप इस क्षेत्र में कई प्रागैतिहासिक गुफा चित्र पा सकते हैं। यह साबित करने के लिए कई पुरातात्विक साक्ष्य हैं कि यह स्थान लगभग 1.5 लाख वर्षों तक बसा हुआ था।
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