30 की आयु में सत्य की तलाश में निकले थे भगवान महावीर, जानें खास बातें
गर्भ में पल रहे भगवान महावीर के तीर्थंकर बनने का संदेश मां त्रिशला को सपने में ही मिल गया था। सत्य की खोज ने उन्हें ऐसा व्याकुल किया कि सब छोड़ 30 वर्ष की आयु में वे निकल पड़े।
By Monika MinalEdited By: Updated: Mon, 06 Apr 2020 12:01 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। जैन समुदाय के लिए महत्वपूर्ण तिथि महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) को महावीर जन्म कल्याणक (Mahavir Janma Kalyanak) के नाम से भी जाना जाता है। भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर व अंतिम प्रचारक रहे। शुरुआत में महावीर युवराज थे लेकिन जैन धर्म की मान्यताओं ने उन्हें आकर्षित कर लिया और उन्होंने तपस्या करना शुरू कर दिया। 30 की उम्र में उन्होंने राजसी ठाठ-बाट व अपने परिवार को त्याग दिया और सत्य की खोज में निकल पड़े।
सपने में ही ‘तीर्थंकर’ बनने की भविष्यवाणीभगवान महावीर का जन्म 599 इस्वी पूर्व बिहार राज्य में हुआ था। उनका जन्म लिच्छवी वंश के राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर में हुआ था। गर्भ के दौरान त्रिशला को ऐसे कई सपने आते थे कि बच्चा तीर्थंकर बन जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि ब्राह्मण ऋषभदेव की पत्नी देवनंदा के गर्भ में भगवान महावीर की उत्पत्ति हुई थी लेकिन भगवान ने इसे त्रिशला के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया था।
बचपन का नाम था ‘वर्धमान’ऐसी मान्यता है कि जब महावीर भगवान ने जन्म लिया था तब उनके राज्य में काफी तरक्की और संपन्नता आ गई थी इसलिए ही उनका नाम वर्धमान रखा गया। वर्धमान का अर्थ है ‘बढ़ता हुआ’।
अहिंसा परमो धर्म:भगवान महावीर का जन्म 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के मोक्ष प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद हुआ था। भगवान महावीर ने पूरी दुनिया को अहिंसा परमो धर्म: का संदेश दिया। इसके फलस्वरूप जैन धर्म के लोगों ने मुंह पर स्कार्फ बांधना शुरू किया कि सांस में या मुंह में कीट-पतंगों के जाने से उनकी मौत न हो जाए।
जैन धर्म के लिए यह दिन खासआज के दिन जैन धर्म के अनुयायी प्रार्थना करते हैं और व्रत में रहते हैं। भगवान महावीर के मंदिरों में जाकर ये मूर्ति को स्नान कराते हैं और उनका अभिषेक करते हैं। इसके बाद रथ या सिंहासन पर रखकर यात्रा निकालते हैं। कई जगहोंपर इस दिन पालकी यात्रा (Palki Yatra) का आयोजन होता है। लेकिन इस बार यह संभव नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए देश भर में लॉकडाउन है।
सत्य और अहिंसा की राह अपनाने के अलावा भगवान महावीर ने पांच महाव्रत, पांच अनुभाव्रत, पांच समिति और 6 जरूरी नियमों का उल्लेख किया है जो जैन धर्म का मुख्य आधार है।