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अल्जाइमर के मरीजों की थकान के पीछे नींद की कमी नहीं बल्कि न्यूरान की कमी है वजह- रिपोर्ट

मरीजों की नींद की इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) के जरिये निगरानी की गई। उन्होंने मृत्यु के बाद अपना मस्तिष्क दान कर दिया था। पोस्टमार्टम के बाद उनके मस्तिष्क के ऊतकों की सूक्ष्म स्थिति तथा नींद संबंधी आंकड़ों की तुलना की गई।

By Monika MinalEdited By: Updated: Tue, 05 Apr 2022 04:31 PM (IST)
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न्यूरान की कमी से अल्जाइमर पीड़ितों को आती है ज्यादा उंघाई
सैन फ्रांसिस्को, एएनआइ। वैज्ञानिकों ने एक हालिया अध्ययन में पता लगाया है कि अल्जाइमर पीड़ितों की उंघाई व सुस्ती के लिए अनिद्रा नहीं, बल्कि खास प्रकार के न्यूरान में आने वाली गिरावट जिम्मेदार है जो हमें जागने व तरो-ताजा रखने में मदद करते हैं। 'जेएएमए न्यूरोलाजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि न्यूरान में गिरावट के लिए टाऊ (Tau Protein) प्रोटीन जिम्मेदार है।

अध्ययन के अनुसार, यह आम धारणा है कि अल्जाइमर पीड़ित रात में ठीक से नींद नहीं ले पाते, जिसके कारण उन्हें दिन में उंघाई या झपकी आती रहती है और वे सुस्त बने रहते हैं। इसके इलाज की सलाह दी जाती है, ताकि अल्जाइमर पीड़ित ज्यादा जाग सकें और तरो-ताजा बने रहें। अध्ययन में यूसी सैन फ्रांसिस्को के मेमोरी एंड एजिंग सेंटर में भर्ती मरीजों के आंकड़ों की मदद ली गई।

मरीजों की नींद की इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) के जरिये निगरानी की गई। उन्होंने मृत्यु के बाद अपना मस्तिष्क दान कर दिया था। पोस्टमार्टम के बाद उनके मस्तिष्क के ऊतकों की सूक्ष्म स्थिति तथा नींद संबंधी आंकड़ों की तुलना की गई। न्यूरोपैथोलाजिस्ट व मनोचिकित्सक थामस नेलन की सहयोगी ग्रिनबर्ग के अनुसार, 'हमने अपने अध्ययन में यह साबित करने में सफलता पाई कि अल्जाइमर पीडि़तों की झपकी व सुस्ती के लिए न्यूरान में गिरावट जिम्मेदार है।' 

इससे पहले फरवरी में किए गए एक अध्ययन में बताया गया था कि कोविड-19 महामारी के कारण मरने वाले संक्रमितों के ब्रेन में ऐसे बदलाव देखे गए जो अल्जाइमर के मरीजों के ब्रेन में मौजूद होते हैं। यह अध्ययन 'अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया : द जर्नल आफ द अल्जाइमर्स एसोसिएशन' में प्रकाशित हुआ था। इसके आधार पर लंबे समय तक कोरोना संक्रमण के कारण यादाश्त पर होने वाले प्रभाव को समझा जा सकता है। इसकी पुष्टि के लिए और भी रिसर्च की जरूरत है।

वैगेलोस कालेज आफ फिजिशियन एंड सर्जन्स में डिपार्टमेंट आफ द फिजियोलाजी एंड सेल्युलर बायोफिजिक्स के प्रमुख तथा इस अध्ययन के नेतृत्वकर्ता एंड्रयू मा‌र्क्स ने बताया कि जैसे ही कोविड महामारी की मार बढ़ी, सभी लोगों की दिलचस्पी इसमें बढ़ गई और यह तलाशने की कोशिश होने लगी कि इसमें क्या मदद कर सकते हैं।