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अग्रिम जमानत याचिका लंबित रहते हुए भी निचली अदालत जारी कर सकती है उद्घोषणा नोटिस: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया जिसने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 1999 के विभिन्न प्रविधानों के तहत अपराधों के लिए दर्ज प्राथमिकी के संबंध में अपीलकर्ताओं द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत देने की शक्ति को विशेष शक्ति है।

By Agency Edited By: Piyush Kumar Updated: Fri, 15 Mar 2024 06:00 AM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को लेकर की टिप्पणी।(फोटो सोर्स: जागरण)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अग्रिम जमानत याचिका के लंबित रहने से निचली अदालत द्वारा उद्घोषणा नोटिस जारी करने और किसी भगोड़ा घोषित आरोपित की संपत्तियों की कुर्की का आदेश देने पर रोक नहीं है।

अग्रिम जमानत देने की शक्ति को 'विशेष शक्ति' बताते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि कई मामलों में यह माना गया है कि जमानत एक नियम है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि 'अग्रिम जमानत एक नियम है।

गंभीर मामलों में आरोपितों को अंतरिम राहत देना सही नहीं: कोर्ट

'जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि अग्रिम जमानत देने का सवाल प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर अदालत के सतर्क और विवेकपूर्ण निर्णय पर छोड़ दिया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि उक्त शक्ति के इस्तेमाल के लिए संबंधित अदालत को बहुत सतर्क रहना होगा। गंभीर मामलों में आरोपितों को अंतरिम राहत या संरक्षण देने से न्याय में बाधा आ सकती है। जांच में सुबूतों से छेड़छाड़ की भी स्थिति पैदा हो सकती है।

भगोड़ा घोषित लोग गिरफ्तारी से पूर्व जमानत के हकदार नहीं: कोर्ट

शीर्ष कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 1999 के विभिन्न प्रविधानों के तहत अपराधों के लिए दर्ज प्राथमिकी के संबंध में अपीलकर्ताओं द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

पीठ ने कहा कि निश्चित रूप से यह न्याय के हित में असाधारण मामलों में गिरफ्तारी से पूर्व जमानत देने की अदालत की शक्ति से वंचित नहीं करेगा। लेकिन, लगातार आदेशों की अवहेलना करने और भगोड़ा घोषित लोग इस तरह की राहत के हकदार नहीं हैं।

अग्रिम जमानत देने की शक्ति एक असाधारण शक्ति: सर्वोच्च न्यायालय

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी अंतरिम आदेश के अभाव में अग्रिम जमानत के लिए याचिका के लंबित रहने से निचली अदालतों को उद्घोषणा के लिए कदम उठाने, आगे बढ़ने और कानून के अनुसार दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 83 के तहत कदम उठाने पर रोक नहीं है। सीआरपीसी की धारा 83 फरार आरोपितों की संपत्ति की कुर्की से संबंधित है।

पीठ ने कहा कि हम पहले ही व्यवस्था दे चुके हैं कि अग्रिम जमानत देने की शक्ति एक असाधारण शक्ति है। अपील खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता का आचरण उसे अग्रिम जमानत का लाभ लेने का हकदार नहीं बनाता है।

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