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लूना-25 की स्पीड चंद्रयान-3 से ज्यादा तेज, ISRO ने क्यों नहीं लिया चांद तक पहुंचने के लिए शॉर्ट रूट; ये है वजह

Luna 25 Vs Chandrayaan-3 रूस ने 47 साल बाद चांद पर अंतरिक्ष यान भेजा है। जानकारी के अनुसार 21 या 22 अगस्त को लूना-25 चांद की सतह पर उतरेगा। भले ही चंद्रयान-3 का लैंडर और लूना-25 का लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला है लेकिन दोनों के मिशन के अलग-अलग उद्देश्य हैं। जानकारी के मुताबिक लूना-25 का आकार एक छोटी कार के बराबर है।

By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Sun, 13 Aug 2023 04:11 PM (IST)
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चंद्रयान-3 की तरह लूना 25 लैंडर भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला है।(फोटो सोर्स: जागरण)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए 23 अगस्त का दिन काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ के मुताबिक, चंद्रयान-3 (chandrayaan-3) का लैंडर विक्रम इसी दिन चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है। वहीं, रूस ने भी 11 अगस्त को लूना-25 (Luna-25 mision) लॉन्च किया है। लूना 25 लैंडर भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला है।  

दोनों मिशन के उद्देश्य अलग 

रूस ने 47 साल बाद चांद पर अंतरिक्ष यान भेजा है। जानकारी के अनुसार, 21 या 22 अगस्त को लूना-25 चांद की सतह पर उतरेगा।  भले ही चंद्रयान-3 का लैंडर और लूना-25 का लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला है, लेकिन दोनों के मिशन के अलग-अलग उद्देश्य हैं।

लूना-25 मिशन का उद्देश्य 

रूस का लूना-25 चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन की खोज करेगा। इसके अलावा, लूना-25 चंद्रमा की आंतरिक संरचना पर भी रिसर्च करेगा।

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य 

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य इस बात का पता लगाना है कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं साथ ही चंद्रयान-3, चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा। वैज्ञानिकों ने जानबूझकर चांद के एक चुनौतीपूर्ण हिस्से को चुना है, जिसे लूनर साउथ पोल कहते हैं।

दरअसल, इस इलाके में पानी और खनिज पदार्थों के मौजूद होने की संभावना है। वहीं, भविष्य में मनुष्य क्या अपने बसेरा चांद पर बसा सकता है या नहीं, इसकी भी स्टडी की जाएगी।

विज्ञान पत्रकार ने दी अहम जानकारी 

सवाल यह है कि आखिर चंद्रयान-3 के मुकाबले लूना-25 इतनी जल्दी चांद तक का सफर कैसे तय कर सकता है? इसकी जानकारी विज्ञान पत्रकार पल्लव बागाल ने दी है। उन्होंने कहा कि रूस का रॉकेट ज्यादा ताकतवर और बड़ा है। जानकारी के मुताबिक, लूना-25 का आकार एक छोटी कार के बराबर है। लूना-25 में रोवर और लैंडर है। इसके लैंडर का वजन 800 किलोग्राम है।

वेलोसिटी ज्यादा होने से बढ़ती है रॉकेट की रफ्तार

उन्होंने आगे कहा,"चंद्रयान-3 का रॉकेट छोटा है, जिसकी वजह से हमारे देश का रॉकेट इतना वेग यानी वेलोसिटी उत्पन्न नहीं कर सकता है। वेलोसिटी ज्यादा होने से रॉकेट की रफ्तार बढ़ती है। चंद्रयान-3 मिशन के लिए एलवीएम3 रॉकेट (LVM3) का इस्तेमाल किया गया। रूस का यह मिशन भारत के मिशन के मुकाबले काफी ज्यादा खर्चीला है।"

चंद्रमा की चक्कर काट रहा चंद्रयान-3

भारत ने सीमित संसाधनों के जरिए अपना मून मिशन लॉन्च किया है। चंद्रयान-3 को पृथ्वी की दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया। पृथ्वी के चारों ओर घूमने के बाद चंद्रयान -3 अब चंद्रमा की चक्कर काट रहा है। इस प्रक्रिया के जरिए रॉकेट का ईंधन कम खर्च हो रहा है। वहीं, पृथ्वी जिस स्पीड में अपनी धुरी में घूमती है उसका फायदा चंद्रयान-3 को मिला है।

अब यह समझें कि एक महज सात दिनों के अंदर लूना-25, 3.84 लाख किलोमीटर की इतनी लंबी यात्रा कैसे तय करेगा। वहीं, चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने में तकरीबन 40 दिन लगने वाले हैं। दरअसल,लूना-25 की चांद तक की यात्रा सीधी है। वहीं, चंद्रयान-3 विभिन्न चरणों के जरिए चांद की सतह पर पहुंचेगा। सीधी यात्रा की वजह से लूना-25 बहुत ही जल्द चांद की सतह पर पहुंच सकता है।

 चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए तैयार चंद्रयान-3

5 अगस्त को चंद्रमा की पहली कक्षा में चंद्रयान-3 पहुंचा था। 14 अगस्त को रॉकेट को चंद्रमा की चौथी कक्षा बदली जाएगी। इसके बाद 16 अगस्त को पांचवीं कक्षा बदली जाएगी। सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा तो 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने के लिए तैयार है।