मध्य प्रदेश में 16 महीनों का इंतजार होगा खत्म, न्यायालयों में आज से नियमित कामकाज
मार्च 2020 में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण अदालतों का नियमित कामकाज बाधित हो गया। पिछले 16 महीनों के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सिर्फ जरूरी मामलों की ही सुनवाई हुई। आज से नियमित कामकाज शुरू होगा।
By Shashank PandeyEdited By: Updated: Mon, 09 Aug 2021 08:44 AM (IST)
इंदौर, जेएनएन। न्यायालयों में सोमवार से नियमित कामकाज शुरू हो जाएगा। महामारी के चलते 16 महीने से सिर्फ अत्यावश्यक प्रकरणों की ही सुनवाई हो पा रही थी। इसके चलते लंबित प्रकरणों की संख्या लगातार ब़़ढ रही थी। न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को कोरोना गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा। कोरोना संक्रमण के चलते 19 मार्च 2020 से न्यायालयों का नियमित कामकाज बाधित चल रहा है। हाल ही में जबलपुर से इस संबंध में आदेश जारी हुए हैं। अब न्यायालयों में प्रत्यक्ष (आमने--सामने) और वर्चुअल ([वीडियो कांफ्रें¨सग)] दोनों तरह की सुनवाई होगी। इससे निराकरण में सुविधा मिलेगी।
95 प्रतिशत से ज्यादा टीकाकरण : न्यायालयों का कामकाज शुरू करने से पहले वकीलों और न्यायिक कर्मचारियों का अधिक से अधिक टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया था। इसके लिए जिला न्यायालय और हाई कोर्ट परिसर में टीकाकरण शिविर लगाए गए थे। हाई कोर्ट बार तदर्थ कमेटी के उप संयोजक एडवोकेट अमर सिंह राठौर ने बताया कि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के 97 प्रतिशत सदस्यों का टीकाकरण हो चुका है। इसी तरह जिला कोर्ट में 95 प्रतिशत वकील और न्यायिक कर्मचारी टीका लगवा चुके हैं।
लोकसभा चुनाव में खराब ईवीएम और वीवीपैट की संख्या बताने का आदेश
केंद्रीय सूचना आयोग ([सीआइसी)] ने ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की कुल संख्या बताने का आदेश जारी कर दिया है। साथ ही मानकीकरण, परीक्षण और गुणवत्ता सर्टीफिकेट ([एसटीक्यूसी)] निदेशालय ने खराब मशीनों की संख्या उजागर की है। आयोग ने इलेक्ट्रानिक और आइटी मंत्रालय के तहत आने वाले एसटीक्यूसी निदेशालय का दरवाजा खटखटाने वाले वेंकटेश नायक की याचिका पर फैसला सुनाया है। फैसले में कहा गया कि 2019 में लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल हुए एम2 और एम3 जेनरेशन की इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन ([ईवीएम)] और वोटर वेरिफाइड पेपर आडिट ट्रेल ([वीवीपैट)] की इकाइयों के आडिट और परीक्षण की जानकारी दी जाए। इन मशीनों का निर्माण ईसीआइएल और बीईएल ने किया है। याचिकाकर्ता वेंकटेश नायक को आरटीआइ की धारा आठ ([आइ)]([डी)] के तहत इस संबंध में सूचना देने से मना कर दिया गया था।