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    मध्य प्रदेश में सीधी भर्ती के IAS अधिकारियों का दबदबा, कलेक्टर पद पर बढ़ी नियुक्ति

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 07:19 PM (IST)

    मध्य प्रदेश में अब ज्यादातर जिलों के कलेक्टर सीधी भर्ती वाले आईएएस अधिकारी हैं। 55 में से 14 जिलों को छोड़कर बाकी में सीधी भर्ती के अधिकारी हैं। पहले यह संख्या लगभग बराबर थी लेकिन अब सीधी भर्ती के अधिकारियों को अधिक महत्व दिया जा रहा है। कुछ प्रमोटी अधिकारियों को कभी कलेक्टरी नहीं मिली। सीधी भर्ती के अधिकारियों को अधिक महत्व दिया जा रहा है।

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    मध्य प्रदेश में सीधी भर्ती के IAS अधिकारियों का दबदबा (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में अब मैदानी कमान राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होने वाले नहीं बल्कि सीधी भर्ती के आइएएस अधिकारियों के हाथों में हैं। 55 जिलों में से 14 को छोड़कर बाकी जिलों में कलेक्टर अब सीधी भर्ती के अधिकारी हो गए हैं। पहले यह संख्या लगभग बराबर रहा करती थी, लेकिन अब सीधी भर्ती के अधिकारियों को अधिक महत्व दिया जा रहा है।

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    वहीं, दूसरी ओर नियाज खान, उर्मिला शुक्ला, गिरीश शर्मा, सरिता बाला प्रजापति जैसे कुछ प्रमोटी अधिकारी ऐसे भी हैं, जिन्हें कभी कलेक्टरी ही नहीं मिली। प्रदेश में 2010 से लेकर 2016 बैच के अधिकारियों को कलेक्टर बनाया गया है।

    अब केवल 2010 बैच के अधिकारी कौशलेंद्र विक्रम सिंह भोपाल में कलेक्टर हैं। शीलेंद्र सिंह छिंदवाड़ा में पदस्थ थे, जिन्हें मंगलवार को हटा दिया गया। ये जनवरी में सचिव के वेतनमान में पदोन्नत हो जाएंगे।इसी बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आइएएस बने अधिकारियों को कलेक्टर बनाया गया है लेकिन इनकी संख्या 55 में 14 ही है।

    सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक के अधिकारियों का कहना है कि बीच के वर्षों में आइएएस संवर्ग में प्रमोट होने वाले अधिकारियों की संख्या कम थी। विभिन्न बैच के अधिकारियों के बीच संतुलन बनाकर कलेक्टर बनाए गए हैं। 2016 बैच के सभी सीधी भर्ती के अधिकारी कलेक्टर बन चुके हैं लेकिन इसी बैच के 16 प्रमोटी अधिकारी अभी रह गए हैं।

    सूत्रों का कहना है कि सीधी भर्ती के अधिकारियों को अधिक महत्व दिया जा रहा है। यही कारण है कि कुछ अधिकारी तो सेवानिवृत्त हो गए या उसकी कगार पर पहुंच गए लेकिन उन्हें कभी कलेक्टरी नहीं मिली।

    एससी-एसटी के अधिकारी तैनात

    ग्रेडेशन लिस्ट में भले ही वर्ग का उल्लेख नहीं होता लेकिन जो पदस्थापना हुई है, उसके अनुसार 17 कलेक्टर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग से हैं। वहीं, मंगलवार को सात महिला अधिकारियों को कलेक्टर बनाने के बाद अब प्रदेश में कुल 17 महिला कलेक्टर हो गई हैं।

    अच्छा मिश्रण होना चाहिए

    पूर्व मुख्य सचिव शरद चंद्र बेहार का कहना है कि आमतौर पर कलेक्टर की पदस्थापना में अनुभव और उसकी योग्यता का ध्यान रखा जाता है। अब स्थितियां बदली हैं। नियुक्तियों में राजनीतिक पसंद-नापसंद अधिक मायने रखने लगी है। यह पहले अपवाद स्वरूप होती थी।

    मध्य प्रदेश ही नहीं अधिकतर राज्यों में कलेक्टर की पदस्थापना में प्रमोटी और सीधी भर्ती के संतुलन का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। जबकि, कलेक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है इसलिए इस बात पर बैच के स्थान पर विशेष ध्यान उपयोगिता पर होना चाहिए।

    ये प्रमोटी अधिकारी अभी कलेक्टर

    सुधीर कोचर- दमोह, रवींद्र कुमार चौधरी-शिवपुरी, किशोर कुमार कन्याल- गुना, विवेक श्रोत्रिय- टीकमगढ़, केदार सिंह- शडहोल, धरणेंद्र कुमार जैन- उमरिया, नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी- बैतूल, संजय कुमार जैन- मऊगंज, रानी बाटड-मैहर, अंजू पवन भदौरिया- डिंडौरी, ऊषा परमार- पन्ना, नीरज कुमार वशिष्ठ- पांढुर्णा, जमुना भिड़े- निवाड़ी और नीतू माथुर- आलीराजपुर।

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