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'जिम्मेदारी से काम करें उच्च पदों पर बैठे लोग', DMK नेताओं को मद्रास हाई कोर्ट की नसीहत; हिंदू संगठन की याचिका की खारिज

सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी मामले में एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन द्वारा DMK नेताओं के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। हालांकि हाई कोर्ट ने द्रमुक मंत्रियों उदयनिधि स्टालिन पीके शेखर बाबू और सांसद ए राजा के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अधिकार वारंट की रिट जारी करने से इनकार कर दिया।

By Agency Edited By: Mohd Faisal Updated: Thu, 07 Mar 2024 04:00 AM (IST)
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'जिम्मेदारी से काम करें उच्च पदों पर बैठे लोग', DMK नेताओं को मद्रास हाई कोर्ट की नसीहत (फाइल फोटो)
पीटीआई, चेन्नई। Madras High Court: सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी मामले में एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन द्वारा DMK नेताओं के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए।

हाई कोर्ट ने 'अधिकार वारंट' की रिट जारी करने से किया इनकार

हालांकि, मद्रास हाई कोर्ट ने द्रमुक मंत्रियों उदयनिधि स्टालिन, पीके शेखर बाबू और सांसद ए राजा के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 'अधिकार वारंट' की रिट जारी करने से इनकार कर दिया। इन याचिकाओं में कथित तौर पर सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने के बाद उनके पद पर बने रहने के अधिकार पर सवाल उठाया गया था।

क्या है 'अधिकार वारंट' की रिट?

'अधिकार वारंट' की रिट एक सामान्य कानून उपाय है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति के सार्वजनिक या कॉर्पोरेट कार्यालय रखने के अधिकार को चुनौती देने के लिए किया जाता है। जस्टिस अनीता सुमंत ने हिंदू मुन्नानी के दो पदाधिकारियों और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें तीन द्रमुक नेताओं के आधिकारिक पदों पर रहने के अधिकार पर सवाल उठाया गया था।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि द्रमुक नेताओं ने सनातन धर्म विरोधी बैठक में भाग लिया था और कथित तौर पर धार्मिक प्रथाओं के खिलाफ भाषण दिया था।

जस्टिस अनीता सुमंत ने दी नसीहत

जस्टिस अनीता सुमंत ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को अधिक जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए। उन्हें बयान देने से पहले ऐतिहासिक घटनाओं को सत्यापित और उनकी जांच करनी चाहिए। इसके साथ ही जस्टिस अनीता सुमंत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा समय से पहले कानूनी उपाय लागू करने का अनुरोध किया गया है। सनातन धर्म के मुद्दे पर कई एफआईआर विभिन्न पुलिस स्टेशनों में लंबित हैं, लेकिन अब तक कोई सजा नहीं हुई है। ऐसे में 'अधिकार वारंट' की रिट इस स्तर पर लागू नहीं होगी।