Madras High Court: महिला की पहचान शादी से नहीं, विधवा की मंदिर में एंट्री रोकने पर मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने विधवा महिलाओं को मंदिर में रोक को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि एक महिला की पहचान उसकी शादी से नहीं होती है। उन्होंने कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस राज्य में यह पुरातन मान्यता कायम है कि यदि कोई विधवा मंदिर में प्रवेश करती है तो इससे अपवित्रता होगी। उन्होंने कहा कि पुलिस सुनिश्चित करें महिलाएं उत्सव में भाग लें।
By AgencyEdited By: Versha SinghUpdated: Sat, 05 Aug 2023 02:16 PM (IST)
चेन्नई, एजेंसी। मद्रास हाईकोर्ट ने विधवा महिलाओं को मंदिर में रोक को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि एक महिला की अपने आप में एक हैसियत और पहचान होती है और उसे उसकी वैवाहिक स्थिति के आधार पर किसी भी तरह से कम नहीं किया जा सकता है या छीना नहीं जा सकता है।
न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने यह टिप्पणी उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देते हुए की, जिन्होंने एक महिला और उसके बेटे को मंदिर में प्रवेश करने से रोका क्योंकि वह एक विधवा है।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये मान्यता आज भी कामय- मद्रास HC
न्यायाधीश ने कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस राज्य में यह पुरातन मान्यता कायम है कि यदि कोई विधवा मंदिर में प्रवेश करती है, तो इससे अपवित्रता होगी। हालाँकि सुधारक इन सभी निरर्थक मान्यताओं को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, फिर भी कुछ गाँवों में इसका चलन अभी भी जारी है।ये मनुष्य द्वारा अपनी सुविधा के अनुरूप बनाए गए हठधर्मिता और नियम हैं। वे वास्तव में एक महिला को सिर्फ इसलिए अपमानित करते हैं क्योंकि उसने अपने पति को खो दिया है।
न्यायमूर्ति आनंद वेंकटेश ने कहा कि यह सब एक सभ्य समाज में कभी जारी नहीं रह सकता, जो कानून के शासन द्वारा शासित होता है।
महिला को उत्सव में शामिल होने से कोई नहीं रोक सकता- मद्रास HC
इसके बाद अदालत ने गोबिचेट्टीपलायम पुलिस को निर्देश दिया कि वह उन लोगों को बुलाए जो महिला को धमकी दे रहे थे और उन्हें स्पष्ट रूप से सूचित करें कि वे उसे और उसके बेटे को मंदिर में प्रवेश करने और उत्सव में शामिल होने से नहीं रोक सकते हैं।
कोर्ट ने कहा, अगर इसके बावजूद वे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करने की कोशिश करते हैं, तो उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी। पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि याचिकाकर्ता और उसका बेटा 9 और 10 अगस्त को होने वाले उत्सव में भी भाग लें।अदालत ने इरोड जिले के केटीसेवियुर पोस्ट के कलाईमगल स्ट्रीट में स्थित पेरियाकरुपरायण मंदिर में प्रवेश के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाली थंगामणि की याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता के अनुसार, उनके पति, जो मंदिर में पुजारी थे, की 28 अगस्त, 2017 को मृत्यु हो गई थी। याचिकाकर्ता और उनका बेटा मंदिर में आयोजित आदि उत्सव में भाग लेना चाहते थे, लेकिन एम अयवु और एम मुरली ने उन्हें धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि चूंकि वह विधवा हैं इसलिए उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।