'विभाजनकारी टिप्पणियों के खतरे को समझें सत्ता में बैठे लोग', सनातन धर्म के खिलाफ बयानों पर मद्रास HC की सख्त टिप्पणी
मद्रास हाई कोर्ट ने सितंबर में हुई सनातन धर्म विरोधी सभा में हिस्सा लेने वाले सत्तारूढ़ द्रमुक के कुछ मंत्रियों के विरुद्ध कार्रवाई करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए पुलिस की खिंचाई भी की। जस्टिस जी. जयचंद्रन ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को नशीली दवाओं और छूआछूत और अन्य सामाजिक बुराइयों को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 06 Nov 2023 11:04 PM (IST)
जागरण न्यूज नेटवर्क, चेन्नई। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि सत्ता में बैठे लोगों को विभाजनकारी प्रवृत्ति वाले भाषण के खतरे को समझना चाहिए और जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि खुद ऐसे विचारों का प्रसार करने से बचना चाहिए जो लोगों को विचारधारा, जाति व धर्म के नाम पर बांटते हों।
साथ ही हाई कोर्ट ने सितंबर में हुई सनातन धर्म विरोधी सभा में हिस्सा लेने वाले सत्तारूढ़ द्रमुक के कुछ मंत्रियों के विरुद्ध कार्रवाई करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए पुलिस की खिंचाई भी की। जस्टिस जी. जयचंद्रन ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को नशीली दवाओं और छूआछूत और अन्य सामाजिक बुराइयों को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मागेश कार्तिकेयन नामक व्यक्ति दायर की थी याचिका
जज ने ये टिप्पणियां मागेश कार्तिकेयन नामक एक व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए अपने हालिया आदेश में कीं। याचिका में मागेश ने पुलिस को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह उन्हें द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने और तमिलों के समन्वय के लिए सम्मेलन आयोजित करने की अनुमति प्रदान करे। यह याचिका दो सितंबर को हुए सनातम धर्म उन्मूलन सम्मेलन के संदर्भ में दाखिल की गई थी।'द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने के लिए सभा की मांग'
उस सम्मेलन में तमिलनाडु के मंत्री और मुख्यमंत्री स्टालिन के पुत्र उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के विरुद्ध कुछ टिप्पणियां की थीं जिन पर बड़ा विवाद हो गया था। उक्त सम्मेलन में राज्य के एक अन्य मंत्री पीके शेखर बाबू ने भी कथित रूप से हिस्सा लिया था। हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि पुलिस उन लोगों के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने में विफल रही जिन्होंने सनातन धर्म को खत्म करने के बारे में भड़काऊ भाषण दिए थे, लिहाजा अब इसके जवाब में द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने के लिए सभा आयोजित करने की अनुमति मांगी जा रही है।
तो जनता की शांति में और अधिक बाधा उत्पन्न होगी- कोर्ट
जज ने कहा, "यदि याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया, तो इससे जनता की शांति में और अधिक बाधा उत्पन्न होगी जो पहले से ही संविधान की भावना बरकरार रखने की शपथ लेने वाले व्यक्तियों द्वारा शपथ का उल्लंघन करने और उनका समर्थन करने वाले कुछ उपद्रवी समूहों के तरीकों से तंग आ चुकी है। यह अदालत याचिकाकर्ता को द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने के लिए सम्मेलन आयोजित करने की अनुमति देकर अपराध नहीं कर सकती।"