Maharana Pratap Birth Anniversary: अकबर के घमंड को चूर करने वाले महाराणा प्रताप, जिन्होंने कभी नहीं मानी हार
महाराणा प्रताप ने मुगलों के बार-बार हुए हमलों से मेवाड़ की रक्षा की। उन्होंने अपनी आन बान और शान के लिए कभी समझौता नहीं किया। विपरीत परिस्थिति में भी कभी हार नहीं मानी। यही वजह है कि महाराणा प्रताप की वीरता के आगे किसी की भी कहानी टिकती नहीं है।
By Vinay SaxenaEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Mon, 08 May 2023 11:30 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। 7 फीट 5 इंच लंबाई, 110 किलो वजन। 81 किलो का भारी-भरकम भाला और छाती पर 72 किलो वजनी कवच। दुश्मन भी जिनके युद्ध-कौशल के कायल थे। जिन्होंने मुगल शासक अकबर का भी घमंड चूर कर दिया। 30 सालों तक लगातार कोशिश के बाद भी अकबर उन्हें बंदी नहीं बना सका। ऐसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप की 9 मई को जयंती है। आइए, जानते हैं महाराणा प्रताप के बारे में रोचक बातें।
महाराणा प्रताप की वीरता की कहानी
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था। राजपूत राजघराने में जन्म लेने वाले प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े पुत्र थे। वे एक महान पराक्रमी और युद्ध रणनीति कौशल में दक्ष थे। महाराणा प्रताप ने मुगलों के बार-बार हुए हमलों से मेवाड़ की रक्षा की। उन्होंने अपनी आन, बान और शान के लिए कभी समझौता नहीं किया। विपरीत से विपरीत परिस्थिति ही क्यों ना, कभी हार नहीं मानी। यही वजह है कि महाराणा प्रताप की वीरता के आगे किसी की भी कहानी टिकती नहीं है।
हल्दीघाटी का युद्ध
1576 में हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच युद्ध हुआ। महाराणा प्रताप ने अकबर की 85 हजार सैनिकों वाली विशाल सेना के सामने अपने 20 हजार सैनिक और सीमित संसाधनों के बल पर स्वतंत्रता के लिए कई वर्षों तक संघर्ष किया। बताते हैं कि ये युद्ध तीन घंटे से अधिक समय तक चला था। इस युद्ध में जख्मी होने के बावजूद महाराणा मुगलों के हाथ नहीं आए।जब जंगल में जाकर छिप गए थे महाराणा
महाराणा प्रताप कुछ साथियों के साथ जंगल में जाकर छिप गए और यहीं जंगल के कंद-मूल खाकर लड़ते रहे। महाराणा यहीं से फिर से सेना को जमा करने में जुट गए। हालांकि, तब तक एक अनुमान के मुताबिक, मेवाड़ के मारे गए सैनिकों को की संख्या 1,600 तक पहुंच गई थी, जबकि मुगल सेना में 350 घायल सैनिकों के अलावा 3500 से लेकर-7800 सैनिकों की जान चली गई थी। 30 वर्षों के लगातार प्रयास के बाद भी अकबर महाराणा प्रताप को बंदी नहीं बना सका। आखिरकार, अकबर को महाराण को पकड़ने का ख्याल दिल से निकलना पड़ा।
बताते हैं कि महाराणा प्रताप के पास हमेशा 104 किलो वजन वाली दो तलवार रहा करती थीं। महाराण दो तलवार इसलिए साथ रखते थे कि अगर कोई निहत्था दुश्मन मिले तो एक तलवार उसे दे सकें, क्योंकि वे निहत्थे पर वार नहीं करते थे।
महाराणा को पीठ पर लिए 26 फीट का नाला एक छलांग में लांघ गया था चेतक
महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी उनकी ही तरह की बहादुर था। महाराणा के साथ उनके घोड़े को हमेशा याद किया जाता है। जब मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे लगी गे थी, तब चेतक महाराणा को अपनी पीठ पर लिए 26 फीट के उस नाले को लांघ गया था, जिसे मुगल पार न कर सके। चेतक इतना अधिक ताकतवर था कि उसके मुंह के आगे हाथी की सूंड लगाई जाती थी। चेतक ने महाराणा को बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए।