Move to Jagran APP

Maharashtra Election: 'बटेंगे तो कटेंगे', वोट जिहाद'..., महाराष्ट्र चुनाव में छाए रहे ये नारे

महाराष्ट्र में कल विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने जा रही है। इस बार के चुनाव में काफी कुछ अलग दिखा। ये चुनाव मुद्दों से ज्यादा नारों और नैरेटिव पर टिका दिखाई देने लगा। राजनीतिक पार्टियां नारों एवं झूठे-सच्चे विमर्शों (नैरेटिव) के जरिए वोटर्स को लुभाने में लगी हैं। अब देखान ये दिलचस्प होगा कि इस बार महाराष्ट्र की जनता किसके साथ जाती है।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 19 Nov 2024 01:25 PM (IST)
Hero Image
महाराष्ट्र चुनाव में छाए रहे ये नारे (फोटो- जागरण)
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में होने जा रहा विधानसभा चुनाव इस बार मुद्दों से ज्यादा नारों और नैरेटिव पर टिका दिखाई देने लगा है। करीब-करीब सभी राजनीतिक दल लुभावने नारों एवं झूठे-सच्चे विमर्शों (नैरेटिव) के जरिए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं।

महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार कई बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं कि वह नास्तिक हैं। उनका परिवार भी उन्हीं के कदमों पर चलता दिखाई देता है। लेकिन इस बार बारामती में अपने भतीजे अजित पवार के विरुद्ध उनके दूसरे भतीजे युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बनाने के बाद जब युगेंद्र की पहली प्रचार सभा में शरद पवार एवं उनकी पुत्री सुप्रिया सुले पहुंचे, तो सुप्रिया ने मंच से दो बार जोर से नारा लगाया – ‘राम, कृष्ण, हरि’। श्रोताओं की ओर से इसके जवाब में कहा गया – ‘बाजवा तुतारी’। ‘तुतारी’ यानी तुरही बजाता आदमी शरद पवार की पार्टी राकांपा (शरदचंद्र पवार) का चुनाव निशान है।

इस प्रकार सुप्रिया सुले द्वारा राम, कृष्ण, हरि का नारा देकर प्रचार अभियान की शुरुआत करने के बाद उनकी पार्टी के चुनाव अभियान में हर जगह अब यही नारा गूंजता दिखाई दे रहा है। वास्तव में यह नारा देकर सुप्रिया ने महाराष्ट्र के वारकरी संप्रदाय को भी लुभाने का प्रयास किया है, जिसकी संख्या राज्य में अच्छी-खासी है। हर साल आषाढ़ के महीने में यह संप्रदाय अपनी यात्राएं निकालकर पंढरपुर के विट्ठल मंदिर तक जाता है। यात्रा के दौरान इस संप्रदाय के लोग भी राम, कृष्ण, हरि का ही जाप करते सुनाई देते हैं।

विधानसभा चुनाव में नारों की गूंज

इसी प्रकार महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में इन दिनों दो नारे और गूंजते सुनाई दे रहे हैं। एक है ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, और दूसरा है ‘एक हैं, तो सेफ हैं’। विपक्षी दल तो भाजपा के इन नारों की आलोचना कर ही रहे हैं, अब भाजपा के अंदर एवं उसके सहयोगी दल भी इन नारों पर एतराज जताते दिखाई दे रहे हैं। उनकी आपत्तियों का उत्तर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इतिहास की याद दिलाते हुए यह कहकर दिया है कि हम जब-जब बंटे हैं, तब तब कटे हैं। इसलिए ऐसा कहकर मुख्यमंत्री योगी या प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ गलत नहीं किया है। लेकिन चुनाव प्रचार के अंतिम दिन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी जाते-जाते मुंबई में एक तिजोरी पर ‘एक हैं, तो सेफ हैं’ लिखवाकर इस नारे को प्रधानमंत्री मोदी और उद्योगपति अदाणी से जोड़कर चले गए।

‘रेड बुक’ और ‘अर्बन नक्सल’ की भी चर्चा

इस चुनाव में दो शब्द ‘रेड बुक’ और ‘अर्बन नक्सल’ भी खूब चर्चा में हैं। इन शब्दों का प्रयोग भाजपा द्वारा राहुल गांधी के हाथों में दिखाई देने वाली संविधान की लाल किताब के लिए किया जा रहा है। चूंकि नक्सलियों द्वारा लाल झंडे का उपयोग किया जाता है, इसलिए भाजपा के लोग लाल जिल्द वाली संविधान की छोटी पुस्तिका लहराने वाले राहुल गांधी का संबंध अर्बन नक्सल से भी जोड़ने में नहीं चूक रहे हैं। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा के इन बयानों पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रेडबुक पर देश को गुमराह कर रहे हैं।

विपक्ष कर रहा इन दो शब्दों का खूब प्रयोग

विपक्ष की ओर से भी बार-बार दो शब्दों का उपयोग किया जा रहा है। एक है ‘गद्दार’, दूसरा है ‘खोखा’। शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं द्वारा पार्टी से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे एवं उनके साथियों को बार-बार गद्दार कहकर संबोधित किया जा रहा है। यहां तक कि चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी अपने चचेरे बड़े भाई उद्धव ठाकरे को ही गद्दार बताते हुए शिवसेना की बुरी दशा का ठीकरा उनपर फोड़ा। वहीं खोखा शब्द का उपयोग मराठी में एक करोड़ रुपयों के लिए किया जाता है। उद्धव गुट पार्टी विभाजन के बाद से ही आरोप लगाता आ रहा है कि शिंदे समर्थक विधायक 50-50 खोखा लेकर बगावत करने को राजी हुए हैं।

चुनाव के दौरान बार-बार 'अफजल खान' और 'औरंगजेब' का उपयोग भी पक्ष और विपक्ष दोनों गठबंधनों द्वारा अपने विरोधियों के लिए किया जा रहा है। जबकि रजाकार शब्द का उपयोग हाल ही में महाराष्ट्र चुनाव में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की सक्रियता के बाद शुरू हुआ। जब उनकी एक चुनौती का जवाब देते हुए भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ओवैसी तो रजाकारों के वंशज है, वह हमसे क्या बात करेंगे।

 यह भी पढ़ें: Chirag Paswan: झारखंड में आरक्षण पर क्या बोले चिराग पासवान? PM Modi का भी ले लिया नाम