BSP MLA का विवादित बयान, कहा- 'गांधी नहीं, बुद्ध हैं शांति के प्रतीक'
बसपा विधायक ने कहा है कि भारत में शांति का प्रतीक भगवान बुद्ध हैं न कि महात्मा गांधी। उनका कहना है कि यदि गांधी शांति का प्रतीक होते तो उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिलता।
बालाघाट (नई दुनिया)। 'राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शांति के प्रतीक नहीं हैं। अगर होते तो उन्हें भी नोबल पुरस्कार से नवाजा जाता। भारत में शांति के प्रतीक गौतम बुद्घ ही रहे। उनके द्वारा बताए गए शांति व अहिंसा के मार्ग को गांधीजी ने अपनाया था, न कि गांधीजी का मार्ग गौतम बुद्घ ने अपनाया था।' यह विवादित बयान शुक्रवार को बसपा नेता व पूर्व सपा विधायक किशोर समरिते ने प्रेस कान्फ्रेंस में दिया।
समरिते ने कहा कि गांधी की विचारधारा से प्रेरित होकर देश में एक भी व्यक्ति ने हथियार नहीं डाला और न कोई प्रभावित हुआ है। गौतम बुद्घ की विचारधारा से सम्राट अशोक ने धर्म परिवर्तन कर लिया था। समरिते ने बताया कि बालाघाट नक्सली समस्या से प्रभावित है। इससे निपटने के लिए सरकारी नीति और इंतजाम विफल हो रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए उनके नेतृत्व में जनता शांति मार्च निकालेगी।
इस शांति मार्च में नक्सलियों के खिलाफ पूर्व नक्सली भी शामिल होंगे। शांति मार्च 2 अक्टूबर को लांजी से शुरू होगा, जो नक्सल प्रभावित डाबरी, सोनगुड्डा, रूपझर, उकवा परसवा़़डा समेत अन्य ग्राम होते हुए बालाघाट पहुंचेगा।
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