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कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन C.1.2: अब इन देशों से मुंबई आने वालों को कराना होगा RTPCR टेस्ट

मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर आने वाले दूसरे देशों के लोगों के लिए 3 सितंबर से बृहनमुंबई म्युनिसिपल कार्पोरेशन ने RTPCR टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। कार्पोरेशन ने यह कदम दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के मद्देनजर लिया है।

By Monika MinalEdited By: Updated: Thu, 02 Sep 2021 07:39 AM (IST)
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यूरोप, चीन और मिडिल ईस्ट से मुंबई आने वालों के लिए RTPCR टेस्ट अनिवार्य
 मुंबई, एएनआइ। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के वैरिएंट C.1.2 का पता लगने के बाद बृहनमुंबई म्युनिसिपल कार्पोरेशन (BMC) ने एहतियातन मुंबई एयरपोर्ट पर विदेशी पर्यटकों के लिए RT-PCR टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। 3 सितंबर, शुक्रवार से यह नियम लागू होगा। इसके तहत ब्रिटेन, यूरोप, पश्चिम एशिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बांग्लादेश, बोत्सवाना, चीन, मारिशस , न्यूजीलैंड और जिम्बाब्वे से आने वाले यात्रियों को छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद कोविड टेस्ट RTPCR कराना होगा। 

BMC के निर्देश में बताया गया है कि इन देशों के अलावा दूसरे देश से आने वालों में से जिन्हें एयरपोर्ट से बाहर निकलना है या विमान में सवार होना है उन्हें अपने सफर की शुरुआत से पहले के 72 घंटों के भीतर कराई गई RTPCR टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। साथ ही BMC की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि कोरोना वायरस के अधिक संक्रामक रूपों का पता लगने के कारण केंद्र के दिशानिर्देशों के आधार पर कदम उठाए जा रहे हैं।

अब तक कोरोना वायरस का नया वैरिएंट C.1.2 भारत में नहीं आया है। कोविड-19 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन

(World Health Organization) की टेक्निकल लीड मारिया वैन केरखोव (Maria Van Kerkhove) ने मंगवार को बताया कि C.1.2 वैरिएंट के मामले अब तक 6 देशों में पाए जा चुके हैं। WHO के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में रिसर्चरों की टीम ने इस वैरिएंट से जुड़े अपने निष्कर्षों को WHO ग्रुप के समक्ष 21 जुलाई को पेश किया था।

दक्षिण अफ्रीका में वायरस का यह नया वैरिएंट मई में मिला था। रिसर्चरों ने इस वैरिएंट के बारे में विस्तार से जानकारी दी । इनके अनुसार चीन के वुहान में मिले आरिजिनल वायरस से यह काफी अलग है। यह वैरिएंट अब तक 40-59 म्युटेशन के बाद का है। चीन के वुहान में कोरोना संक्रमण का सबसे पहला मामला 2019 के अंत में आया था जिसके दो-तीन माह के भीतर ही यह पूरी दुनिया में फैल गया।