Move to Jagran APP

Manipur Violence: म्यांमार में शरण लेने वाले मणिपुर के 212 नागरिक लौटे घर, CM ने भारतीय सेना का किया धन्यवाद

म्यांमार में शरण लेने वाले मणिपुर के 212 नागरिक वापस अपने घर लौट आए हैं। इस पर CM एन. बीरेन सिंह ने भारतीय सेना का धन्यवाद किया है। बता दें तीन मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद मैतेई समुदाय के 212 पुरुष और महिलाएं सीमा पार कर म्यांमार चली गई थीं। वे म्यांमार सीमा पर मोरेह के निवासी थे।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Sat, 19 Aug 2023 08:42 AM (IST)
Hero Image
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भारतीय सेना का किया धन्यवाद
इंफाल, जागरण डिजिटल डेस्क। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य के 212 पुरुष और महिलाएं, जिन्होंने तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद म्यांमार में शरण ली थी, शुक्रवार को सुरक्षित रूप से वापस मणिपुर लौट आए।

CM ने भारतीय सेना का किया धन्यवाद

ये सभी लोग मैतेई समुदाय के हैं, जो म्यांमार सीमा पर मोरेह के निवासी हैं। मुख्यमंत्री ने मणिपुर में लोगों को सुरक्षित वापस लाने की पहल करने के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया।

एन. बीरेन सिंह ने किया ट्वीट

एन. बीरेन सिंह ने ट्वीट किया, ''राहत और आभार, क्योंकि 212 साथी भारतीय नागरिक (सभी मैतेई) जो तीन मई को मणिपुर के मोरे शहर में अशांति के बाद म्यांमार सीमा पार सुरक्षा की मांग कर रहे थे, अब सुरक्षित रूप से भारतीय धरती पर वापस आ गए हैं। उन्हें घर लाने में भारतीय सेना को उनके समर्पण के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

मुख्यमंत्री ने कहा, ''जीओसी पूर्वी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल आर.पी. का हार्दिक आभार। कलिता, जीओसी 3 कॉर्प, लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. साही और 5 एआर के सीओ कर्नल राहुल जैन को उनकी अटूट सेवा के लिए धन्यवाद।''

कुकी थोवई गांव में मिले युवकों के क्षत-विक्षत शव

बता दें, मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है। शुक्रवार को उखरूल जिले के कुकी थोवई गांव में भारी गोलीबारी के बाद 24 से 35 साल की उम्र के तीन युवकों के क्षत-विक्षत शव मिले हैं। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है। 

मणिपुर में तीन मई से भड़की हिंसा

मणिपुर में मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी। मणिपुर में मैतेई आबादी लगभग 53 प्रतिशत है, जो ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। वहीं, आदिवासी नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।