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Manipur Violence: राज्य में भड़की ताजा हिंसा के बाद केंद्र ने सीनियर IPS अधिकारी राकेश बलवाल को मणिपुर भेजा

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थिती को संभालने के लिए सीनियर आईपीएस अधिकारी राकेश बलवाल को मणिपुर भेजा है। जुलाई में लापता हुए दो छात्रों की नृशंस हत्या के बाद एक बार फिर मणिपुर में हिंसा भड़क उठी है। बुधवार को छात्रों और स्थानीय लोगों से सुरक्षाबलों की झड़प हो गई जिसके बाद आरएएफ ने लाठीचार्ज किया। इसमे 45 लोग घायल हो गए।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 28 Sep 2023 11:21 AM (IST)
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पुलवामा आतंकी हमले की जांच दल के सदस्य थे बलवाल (फोटो, एक्स)
नई दिल्ली, एजेंसी। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थिती को संभालने के लिए सीनियर आईपीएस अधिकारी राकेश बलवाल को मणिपुर भेजा है। जुलाई में लापता हुए दो छात्रों की नृशंस हत्या के बाद एक बार फिर मणिपुर में हिंसा भड़क उठी है। बुधवार को छात्रों और स्थानीय लोगों से सुरक्षाबलों की झड़प हो गई, जिसके बाद आरएएफ ने लाठीचार्ज किया। इसमे 45 लोग घायल हो गए।

राकेश बलवाल 2012 बैच के मणिपुर कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। इस समय वह श्रीनगर के एसएसपी के पद पर तैनात थे। केंद्र सरकार ने बलवाल को समय से पहले ही मणिपुर उनके होम कैडर वापस भेज दिया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश के मुताबिक, राकेश बलवाल को समय से पहले एजीएमयूटी कैडर से उनके मूल राज्य में वापस भेजा गया है। उन्होंने 2021 के अंत में श्रीनगर एसएसपी के रूप में कार्यभार संभाला था।

पुलवामा आतंकी हमले की जांच दल के सदस्य थे

इससे पहले राकेश बलवाल पुलिस अधीक्षक के रूप में साढ़े तीन साल तक एनआईए में प्रतिनियुक्ति पर थे। वह साल 2019 में पुलवामा आतंकी हमले की जांच दल के सदस्य थे। इस आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे।

लापता दो छात्रों की हत्या का विरोध कर रहे छात्र

दरअसल, 6 जुलाई से लापता दो छात्रों की हत्या का विरोध कर रहे छात्र और स्थानीय लोगों से आरएएफ जवानों की मंगलवार रात झड़प हो गई थी। इसके बाद आरएएफ ने प्रदर्नकारियों के ऊपर आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां और लाठीचार्ज किया, जिसमें 45 छात्र घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों में अधिकतर छात्र हैं।

कांग्रेस बीजेपी पर साध रही निशाना

कांग्रेस मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है और सवाल कर रही है कि प्रधानमंत्री ने हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा क्यों नहीं किया? ताजा हिंसा को देखते हुए मणिपुर सरकार ने बुधवार को स्कूलों में छुट्टी की घोषणा कर दी गई।

बता दें कि 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अबतक 180 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, वहीं सौकड़ों लोग घायल हुए हैं। यह हिंसा बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित होने के बाद भड़ी थी।

मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि नागा और कुकी सहित आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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