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Manipur Violence: मणिपुर हिंसा मामले पर कमेटी ने SC में पेश की तीन रिपोर्ट, कोर्ट ने सरकार को दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मणिपुर हिंसा मामले में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तीन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से रिपोर्ट देखने को कहा और मामले में उनकी सहायता मांगी। मणिपुर हिंसा और महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों सख्ती दिखाई थी।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Mon, 21 Aug 2023 11:47 AM (IST)
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मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश हुई तीन रिपोर्ट
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिपोर्ट मांगी गई थी। इस मामले में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तीन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई हैं। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से रिपोर्ट देखने को कहा और मामले में उनकी सहायता मांगी।

मणिपुर हिंसा और महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों सख्ती दिखाई थी। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई थी।

आवश्यक दस्तावेजों को फिर से जारी करने की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा के पीड़ितों के लिए राहत की निगरानी के लिए गठित न्यायमूर्ति मित्तल पैनल के उचित कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए शुक्रवार को आदेश पारित करेगा। जस्टिस गीता मित्तल पैनल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मणिपुर हिंसा के पीड़ितों के आवश्यक दस्तावेजों को फिर से जारी करने की जरूरत है।

सीबीआई कर रही मामले की जांच

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने मणिपुर हिंसा मामलों की जांच के लिए बुधवार को विभिन्न रैंक की 29 महिला अधिकारियों सहित 53 अधिकारियों को तैनात किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि जब इतनी बड़ी संख्या में मामले सीबीआई को सौंपे जाते हैं तो, वह पावर उपलब्ध कराने के लिए संबंधित राज्य पर भी निर्भर हो जाती है।

अब तक 160 लोगों की मौत

तीन मई से राज्य में भड़की हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की कुल आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है, जो पहाड़ी जिलों में रहते हैं।