Manipur Violence: ‘लोगों की जान बचाना हमारी प्राथमिकता थी', मणिपुर CM सिंह ने विपक्ष के सवालों का दिया जवाब
मणिपुर में बीते लंबे समय से हिंसा के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अपना घर छोड़ कर किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ा है। इस बीच मणिपुर CM बिरेन सिंह का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार ने पिछले साल मई में हिंसा भड़कने के बाद लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित किया था।
पीटीआई, इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले साल मई में हिंसा भड़कने के बाद लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित किया था।
चुराचांदपुर और मोरेह से लोगों को इंफाल घाटी और राज्य की राजधानी से पहाड़ियों में स्थानांतरित करने के विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए सिंह ने गुरुवार को कहा, जिस रात हिंसा भड़की (3 मई), हम सो नहीं पाए। उन्होंने कहा कि हम उस समय कार्यालय में थे और मामले को लेकर चर्चा कर रहे थे।
लोगों की जान बचाने के लिए किया गया स्थानांतरित- CM बिरेन
उन्होंने कहा, मोरेह में प्रभावित लोगों को असम राइफल्स के कैंप में रखा गया है और चुराचांदपुर में प्रभावित लोगों को सचिवालय में रखा गया है। शुरू में, हमने उन्हें वहीं रखने के बारे में सोचा, लेकिन लोग मदद के लिए लगातार बोल रहे थे और हर तरफ से दबाव था कि प्रभावित लोग अपने मौजूदा स्थानों पर सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए, जान बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता थी, इसलिए सरकार ने उन्हें निकालने का फैसला कियामुख्यमंत्री ने कहा कि अब सवाल उठाए जा रहे हैं कि उन्हें चुराचांदपुर और मोरेह से इम्फाल घाटी क्यों स्थानांतरित किया गया और इसके विपरीत, लेकिन अगर कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई होतीं, और अगर उन्हें स्थानांतरित नहीं किया गया होता और तो यह एक अलग सवाल उठता और बहुत निराशा पैदा होती।सिंह ने कहा, हजारों की संख्या में भीड़ एकत्र हुई थी और आप लोगों पर अंधाधुंध गोलियां नहीं चला सकते।
शांति को भंग करने में लगे हैं लोग- CM
उन्होंने आरोप लगाया कि शांति प्रक्रिया को विफल करने के लिए बहुत से लोग काम कर रहे हैं। जिरीबाम जिले में शांति पहल की घोषणा के एक दिन बाद ही आगजनी की घटनाएं हुईं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अभी भी संघर्ष जारी रखना चाहते हैं और इसे बढ़ाना चाहते हैं।उन्होंने कहा, फिर भी, हम शांति के संकेत देख रहे हैं। हाल ही में, जिरीबाम में अपने घरों से भागे 133 लोग वापस लौट आए हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि विस्थापित लोग भी अपने घरों को लौटें।
पिछले वर्ष मई में इम्फाल घाटी स्थित मैतेई और पहाड़ी क्षेत्र स्थित कुकी लोगों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद 200 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए।