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Manipur Violence: ‘लोगों की जान बचाना हमारी प्राथमिकता थी', मणिपुर CM सिंह ने विपक्ष के सवालों का दिया जवाब

मणिपुर में बीते लंबे समय से हिंसा के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अपना घर छोड़ कर किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ा है। इस बीच मणिपुर CM बिरेन सिंह का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार ने पिछले साल मई में हिंसा भड़कने के बाद लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित किया था।

By Jagran News Edited By: Versha Singh Updated: Fri, 09 Aug 2024 11:35 AM (IST)
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मणिपुर CM सिंह ने विपक्ष के सवालों का दिया जवाब (फाइल फोटो)
पीटीआई, इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले साल मई में हिंसा भड़कने के बाद लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित किया था।

चुराचांदपुर और मोरेह से लोगों को इंफाल घाटी और राज्य की राजधानी से पहाड़ियों में स्थानांतरित करने के विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए सिंह ने गुरुवार को कहा, जिस रात हिंसा भड़की (3 मई), हम सो नहीं पाए। उन्होंने कहा कि हम उस समय कार्यालय में थे और मामले को लेकर चर्चा कर रहे थे।

लोगों की जान बचाने के लिए किया गया स्थानांतरित- CM बिरेन

उन्होंने कहा, मोरेह में प्रभावित लोगों को असम राइफल्स के कैंप में रखा गया है और चुराचांदपुर में प्रभावित लोगों को सचिवालय में रखा गया है। शुरू में, हमने उन्हें वहीं रखने के बारे में सोचा, लेकिन लोग मदद के लिए लगातार बोल रहे थे और हर तरफ से दबाव था कि प्रभावित लोग अपने मौजूदा स्थानों पर सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए, जान बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता थी, इसलिए सरकार ने उन्हें निकालने का फैसला किया

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सवाल उठाए जा रहे हैं कि उन्हें चुराचांदपुर और मोरेह से इम्फाल घाटी क्यों स्थानांतरित किया गया और इसके विपरीत, लेकिन अगर कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई होतीं, और अगर उन्हें स्थानांतरित नहीं किया गया होता और तो यह एक अलग सवाल उठता और बहुत निराशा पैदा होती।

सिंह ने कहा, हजारों की संख्या में भीड़ एकत्र हुई थी और आप लोगों पर अंधाधुंध गोलियां नहीं चला सकते।

शांति को भंग करने में लगे हैं लोग- CM

उन्होंने आरोप लगाया कि शांति प्रक्रिया को विफल करने के लिए बहुत से लोग काम कर रहे हैं। जिरीबाम जिले में शांति पहल की घोषणा के एक दिन बाद ही आगजनी की घटनाएं हुईं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अभी भी संघर्ष जारी रखना चाहते हैं और इसे बढ़ाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, फिर भी, हम शांति के संकेत देख रहे हैं। हाल ही में, जिरीबाम में अपने घरों से भागे 133 लोग वापस लौट आए हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि विस्थापित लोग भी अपने घरों को लौटें।

पिछले वर्ष मई में इम्फाल घाटी स्थित मैतेई और पहाड़ी क्षेत्र स्थित कुकी लोगों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद 200 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए।

कुछ एजेंसियां AFSPA लगाने पर डाल रही जोर- CM बिरेन

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने गुरुवार को कहा कि कुछ केंद्रीय एजेंसियां राज्य के घाटी जिलों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफ्सपा) को फिर से लागू करने के लिए दबाव डाल रही हैं। विधानसभा में नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के सदस्य लीशियो कीशिंग के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सीएम ने कहा कि पिछले साल 3 मई से घाटी जिलों में विकसित स्थिति के कारण, कुछ केंद्रीय एजेंसियां अफ्सपा को फिर से लागू करने के लिए दबाव डाल रही थीं।

एजेंसियों ने दिया ये तर्क

CM बिरेन ने कहा कि उनके साथ चर्चा के दौरान भी इन एजेंसियों ने तर्क दिया कि सामान्य कानून स्थिति को सुलझा नहीं सकते हैं और इसलिए घाटी जिलों में AFSPA को फिर से लागू किया जाना चाहिए।

इस सुझाव पर आपत्ति जताते हुए सीएम ने कहा, हम पहाड़ी जिलों से AFSPA को हटाने की मांग करने पक्ष में थे, लेकिन मुझसे पूछा गया कि क्या घाटी जिलों में स्थिति को सामान्य कानूनों के तहत प्रबंधित किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने एजेंसियों को आश्वासन दिया कि अशांति हाल की हिंसा के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का परिणाम है और वह धीरे-धीरे स्थिति का समाधान करेंगे।

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