Move to Jagran APP

तो मनमोहन सिंह को कैसे बना दिया वित्त सचिव? लेटरल एंट्री विवाद पर केंद्रीय मंत्री ने लिया राहुल को आड़े हाथ

सरकारी नौकरियों में लेटरल एंट्री को लेकर चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को राहुल गांधी के दावे पर निशाना साधा। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 1976 में लेटरल एंट्री के जरिए वित्त सचिव बनाया गया था।

By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Updated: Mon, 19 Aug 2024 11:45 PM (IST)
Hero Image
लेटरल एंट्री विवाद पर केंद्रीय मंत्री ने लिया राहुल को आड़े हाथ (Image: ANI)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लैटरल इंट्री के जरिये प्रशासनिक पदों पर विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति के मामले में हमलावर विपक्षी दलों को जवाब देने के लिए केंद्र सरकार ने भी तीखे तेवर दिखाए हैं। सरकार ने कांग्रेस, विशेष रूप से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से सवाल किया है कि मनमोहन सिंह की 1976 में वित्त सचिव के पद पर नियुक्ति किस व्यवस्था के तहत हुई थी?

पूर्व प्रधानमंत्री का दिया उदाहरण

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में मनमोहन सिंह को सीधे वित्त सचिव बनाया था, जो बाद में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री भी बने। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव के 45 पदों पर विशेषज्ञों की सीधी भर्ती पर एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं किए जाने और इनमें आरएसएस के लोगों की नियुक्ति करने के विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में ऐसी सैकड़ों नियुक्तियां की गईं।

मोंटेक सिंह अहलूवालिया  को भी इसी योजना की मिला फायदा

मनमोहन सिंह के अलावा मोंटेक सिंह अहलूवालिया को भी इसी तरह योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया। मेघवाल ने पूछा कि संप्रग सरकार के समय राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में किस व्यवस्था के आधार पर नियुक्ति की गई थी? मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस को पता होना चाहिए कि उसका इतिहास सदैव आरक्षण व्यवस्था के विरोधी दल का रहा है।

जब नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखा था पत्र

1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा था कि आरक्षण की व्यवस्था प्रशासनिक ढांचे में मेरिट को नष्ट कर देगी। ओबीसी आरक्षण पर काका कालेकर समिति की सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इन्कार कर दिया था। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी राजीव गांधी ने सदन में कहा था कि वह मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ हैं।

मेघवाल ने कहा कि 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाले दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में शीर्ष प्रशासनिक पदों पर विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति का सुझाव दिया था, ताकि प्रशासनिक कामकाज की गुणवत्ता सुधरे। इस पर 2014 तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सुझाव को व्यवस्थित तरीके से लागू करते हुए भरोसेमंद संस्था यूपीएससी को ऐसे विशेषज्ञों के चयन की जिम्मेदारी दी है।

यह भी पढे़ं: आरक्षण छीनना चाहती है सरकार, लेटरल एंट्री विवाद पर राहुल गांधी ने RSS पर बोला हमला

यह भी पढे़ं: Chirag Paswan: 'इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए', UPSC में लेटरल एंट्री पर भड़के चिराग पासवान