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गांवों का कायाकल्प करने में सही साबित हो रही मनरेगा

मनरेगा पर अब तक के सबसे बड़े अध्ययन से यह पता चलता है कि इससे कृषि की पैदावार बढ़ी है और देश के इस छोर से दूसरे छोर तक भूजल का स्तर ऊपर उठा है।

By Manish NegiEdited By: Updated: Wed, 06 Dec 2017 08:46 PM (IST)
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गांवों का कायाकल्प करने में सही साबित हो रही मनरेगा

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। गांवों का कायाकल्प करने में मनरेगा सही साबित हो रही है। मनरेगा सिर्फ रोजगार ही नहीं दे रही बल्कि इससे ग्रामीण क्षेत्र में चौतरफा विकास हो रहा है, जिसके पक्के सबूत मिलने लगे हैं। मनरेगा पर अब तक के सबसे बड़े अध्ययन से यह पता चलता है कि इससे कृषि की पैदावार बढ़ी है और देश के इस छोर से दूसरे छोर तक भूजल का स्तर ऊपर उठा है।

नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनोमिक ग्रोथ (आईईजी) की तरफ से मनरेगा पर किये गये विस्तृत अध्ययन की रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई। ग्रामीण क्षेत्र में तमाम उत्पादों की मांग बढ़ाने में मनरेगा की भूमिका भी सवालों से परे है।

मनरेगा को आवंटित धनराशि का 60 फीसद हिस्सा प्राकृतिक संसाधन संरक्षण पर खर्च किया जाता है। इसका असर कृषि क्षेत्र और जल संरक्षण पर भरपूर दिखा है। रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण गरीबों की माली हालत में 11 फीसद तक की वृद्धि हुई है। मनरेगा में जल संरक्षण, मेड़बंदी, भूमि सुधार और कृषि संबंधी गतिविधियों में पर्याप्त करने का प्रावधान है।

नतीजतन, अनाज की पैदावार में 11.5 फीसद की वृद्धि और सब्जियों के उत्पादन में रिकॉर्ड 32.3 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। बढ़ती मवेशियों की संख्या के लिए पशु चारे की किल्लत को कम करने में मदद मिली है। मुक्तसर से लेकर विशाखापट्टनम तक भूजल स्तर को ऊपर लाने में मदद मिली है। अध्ययन में शामिल 66 फीसद परिवारों के मुताबिक मनरेगा के चलते स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण और पशु चारे को बढ़ाने में मदद मिली है।

ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में मनरेगा ने अहम भूमिका निभाई है। वर्ष 2006 से दो करोड़ से अधिक स्थायी निर्माण कराये गये हैं, जिसे पिछले दो सालों में जियो टैगिंग की गई है। मनरेगा में खेतों में खोदे गये तालाब व कुएं से जहां बेरोजगारों को काम मिला, वहीं खेती किसानी में मदद मिली है। ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिए बकरी, पोल्ट्री और गौ पालन के प्रावधान किये गये हैं।

अध्ययन के लिए 29 राज्यों के 30 जिलों के 1160 ग्रामीण परिवारों को चयनित किया गया है। मनरेगा मजदूरों को कुशल बनाने के लिए गरीब युवाओं को कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण दिया गया। इससे उन्हें स्थायी रोजगार अथवा अपना काम शुरु करने में सहायता मिली है।

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