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जानिए कौन से देश थे परमाणु डील में शामिल, संधि टूटने पर किसने क्‍या कहा

ईरान के साथ परमाणु समझौते को खत्म करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एलान पर दुनियाभर में तीखी प्रतिक्रिया जताई गई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 10 May 2018 01:44 PM (IST)
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जानिए कौन से देश थे परमाणु डील में शामिल, संधि टूटने पर किसने क्‍या कहा

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्क]। ईरान के साथ परमाणु समझौते को खत्म करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एलान पर दुनियाभर में तीखी प्रतिक्रिया जताई गई है। ट्रंप के फैसले से जहां ईरान भड़क गया है तो वहीं फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने चिंता जताई है। इन यूरोपीय देशों ने समझौते के साथ बने रहने के लिए प्रतिबद्धता भी व्यक्त की है। फ्रांस ने कहा कि परमाणु डील खत्म नहीं हुई है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस मुद्दे पर अपने ईरानी समकक्ष हसन रूहानी से बात करेंगे। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी ट्रंप के फैसले को भारी भूल करार दिया है। ओबामा के कार्यकाल में ही ईरान के साथ यह परमाणु समझौता हुआ था।

ईरानी संसद में जलाया गया अमेरिकी झंडा

परमाणु समझौते से अमेरिका के पीछे हटने पर ईरान में भारी गुस्सा देखने को मिला। ईरानी सांसदों ने संसद में कागज से बने अमेरिकी झंडे और समझौते की प्रति को जलाया और अमेरिका मुर्दाबाद के नारे लगाए। संसद के स्पीकर ने कहा कि ट्रंप सिर्फ ताकत की भाषा समझते हैं। वहीं दूसरी तरफ ट्रंप के फैसले का ईरान के विरोधी माने जाने वाले इजरायल और सऊदी अरब व उसके सहयोगी खाड़ी देशों ने स्वागत किया है। वे इस फैसले को ईरान पर सियासी जीत मान रहे हैं।

अमेरिका ने डील को बताया दोषपूर्ण

ट्रंप ने मंगलवार को परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने का एलान किया था। उन्होंने इस समझौते को दोषपूर्ण करार दिया था। इसके बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने संयुक्त बयान जारी कर ट्रंप के फैसले पर चिंता जताई। इन नेताओं ने कहा कि वे ईरान समझौते का पालन करना जारी रखेंगे। इस समझौते ने दुनिया को सुरक्षित रखा है। इन नेताओं ने ईरान से अमेरिकी फैसले पर संयम दिखाने का भी आग्रह किया। रूस ने भी ट्रंप के फैसले पर निराशा जाहिर की है। यूरोपीय यूनियन की शीर्ष राजनयिक फेडिका मोघरिनी ने अंतराष्ट्रीय समुदाय से ईरान परमाणु समझौते से बंधे रहने की अपील की है। यूरोपीय यूनियन के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा कि अगले हफ्ते सोफिया में होने वाले सम्मेलन के एजेंडे में यह मामला मुख्य रहेगा।

कई देशों का साझा बयान

गौरतलब है कि ब्रिटेन और फ्रांस, दोनों ने ईरानी परमाणु डील पर हस्ताक्षर किए हैं। इन दोनों देशों ने भी डील पर बने रहने की बात कही है। जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन की तरफ से जारी साझा बयान में अमेरिका से अपील की गई है कि वह उन देशों के लिए अड़चनें पैदा ना करें जो इस डील को लागू कर रहे हैं। उन्होंने ईरान से भी "संयम दिखाने" और अपनी जिम्मेदारियों को पूरी करते रहने को कहा है। इस बीच ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी ने कहा है कि उनका देश अंतरराष्ट्रीय समझौते के प्रति वचनबद्ध बना रहेगा। साथ ही उन्होंने ट्रंप के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि वह ट्रंप के फैसले के बाद उन पांच अन्य देशों से बात करना चाहेंगे जिन्होंने इस डील पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि "जब भी जरूरत पड़ी, ईरान पहले से ज्यादा यूरेनियम संवर्धन शुरू कर देगा।

छह देशों ने किया था परमाणु समझौता: 2015 में ईरान ने दुनिया के छह देशों के साथ परमाणु समझौता किया था। इन देशों में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, रूस और जर्मनी शामिल थे।

किसने क्‍या कहा

अपने ही वादों का सम्‍मान नहीं करता अमेरिका

अमेरिका: परमाणु डील बराक ओबामा प्रशासन में की गई सबसे बड़ी और ऐतिहासिक भूल थी। इससे देश और दुनिया को कोई फायदा नहीं पहुंचा, बल्कि इसकी आड़ में ईरान लगातार दुनिया की आंखों में धूल झोंकता रहा और अपना परमाणु काय्रक्रम जारी रखता रहा। अमेरिका इस संबंध में एक दूसरी डील करना चाहता है जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह रोक सके।

ईरान: ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा, अमेरिकी घोषणा से जाहिर होता है कि वह अपने ही वादों का सम्मान नहीं करता। रूहानी का मानना है कि यह परमाणु समझौता तभी बच सकता है जब समझौते के अन्य साझीदार ट्रंप की उपेक्षा कर दें। उन्होंने चेतावनी भी दी कि समझौता विफल होने पर उनका देश फिर से यूरेनियम संवर्धन करेगा।

रूस: रूस ने अमेरिका के परमाणु डील से पीछे हटने को सबसे बड़ी भूल बताया है। रूस का कहना है कि इससे हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिलेगा और यह तनाव को जन्‍म देगा। इसके अलावा राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने यह भी आशंका जताई है कि इस गलत फैसले के बाद मिडिल ईस्‍ट में युद्ध तक संभव है।

जर्मनी: जर्मनी ने कहा है कि ट्रंप के फैसले के बावजूद जर्मनी ईरानी डील से अलग नहीं होगा। जर्मनी के विदेश मंत्री ने सरकारी टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि जर्मन सरकार इस अहम दस्तावेज का समर्थन करती रहेगी, जिससे मध्य पूर्व और दुनिया में सुरक्षा बेहतर हुई है। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानते कि अमेरिका इसकी जगह क्या लाना चाहता है। जर्मन उद्योगपतियों ने भी उन जर्मन कंपनियों पर संभावित अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर चिंता जताई हैं जिनके ईरान से संबंध हैं।

फ्रांस : फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रॉन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को दुर्भाग्‍यपूण बताया है। उनका कहना है उनके भरसक प्रयास के बाद भी अमेरिका ने जो फैसला लिया वह उससे निराश हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन को अमेरिका के जेसीपीओए समझौते से निकलने पर खेद है। इसके बाद परमाणु अप्रसार व्यवस्था दांव पर लगी है।

ब्रिटेन: ब्रिटेन का कहना है कि अमेरिका के इस डील के हटने के बाद भी वह परमाणु डील का सम्‍मान करेगा और इससे जुड़ा रहेगा। लेकिन अमेरिका के इस डील से हटने से ईरान के परमाणु कार्यक्रम शुरू करने का खतरा बढ़ गया है। इसके बाद भी ब्रिटेन इस डील को इसके मुकाम तक पहुंचाने की पूरी कोशिश करता रहेगा।

इजरायल: इजरायल के राष्‍ट्रपति बेंजामिन नेतन्‍याहू ने कहा कि डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपने राष्‍ट्रपति चुनाव की कैंपेन के दौरान ही कहा था कि यह डील एक बड़ी भूल है और इसके जरिए ईरान को उसके खतरनाक मंसूबे पूरे करने से ज्‍यादा समय तक नहीं रोका जा सकता है। उन्‍होंने इसके लिए हमें भी आगाह किया था। बेन्यामिन नेतान्याहू ने ट्रंप के फैसले की सराहना की है और इसे "ऐतिहासिक कदम" बताया है। वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हुए समझौते को "विध्वंसक" मानते हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि इस डील के होने से पहले भी इजरायल ने इसको गलत बताया था। उनका यह भी कहना है कि ईरान न सिर्फ इस डील के दिखावे के रूप में अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखे हुए था बल्कि वह सीरिया को भी हथियारों की सप्‍लाई कर रहा था।

सऊदी अरब: परमाणु डील से अमेरिका के पीछे हटने का स्‍वागत करते हुए सऊदी अरब ने कहा है कि यदि उनका पड़ोसी दुश्‍मन परमाणु हथियार बनाएगा तो वह भी इसे पीछे नहीं हटेगा। वह भी अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का निर्माण तेजी से करेगा। सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने एक बयान में साफ कर दिया है कि ईरान के पास परमाणु ताकत है तो उनका देश भी इसको हासिल करके रहेगा।

चीन: चीन का कहना है कि अमेरिका के इस डील से पीछे हटने पर उसे काफी दुख हुआ है। फिर भी वह इस डील के सभी देशों से इसको मुकाम तक लाने के लिए बातचीत कर रहा है। चीन इस डील का समर्थन करता है। इस डील के टूटने से चीन को भी खामियाजा उठाना पड़ सकता है।