विधानसभाओं के पेपरलेस होने से प्रति वर्ष बच रहे 340 करोड़ रुपये, हो रही पर्यावरण की सुरक्षा
विधानसभाओं के पेपरलेस होने से प्रति वर्ष 340 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बचाई जा रही है। पर्यावरण अनुकूल परियोजना से प्रति वर्ष करोड़ों रुपये का कागज और अन्य दस्तावेज के खर्च की भी बचत हो रही है। बता दें संसदीय कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (एनईवीए) को अपनाने के लिए पिछले साल 18 राज्यों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कागज रहित कामकाज को बढ़ावा देने के लिए गुजरात विधानसभा में राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (एनईवीए) परियोजना को बुधवार से लागू कर दिया गया। विधानसभाओं के पेपरलेस होने से प्रति वर्ष 340 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बचाई जा रही है। पर्यावरण अनुकूल परियोजना से प्रति वर्ष करोड़ों रुपये का कागज और अन्य दस्तावेज के खर्च की बचत होगी। इससे पेड़ों की कटाई भी रुकेगी।
केन्द्र ने कई राज्यों के किया समझौता
संसदीय कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (NEVA) को अपनाने के लिए पिछले साल 18 राज्यों पंजाब, ओडिशा, बिहार (दोनों सदन), मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, पुडुचेरी, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, सिक्किम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश (दोनों सदन) और झारखंड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया था। कुछ राज्यों में इसका कार्यान्वयन हो चुका है और अन्य राज्यों में जारी है।
सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केंद्र सरकार ने कुल परियोजना का बजट 673.94 करोड़ निर्धारित किया है। इस योजना की फंडिंग का पैटर्न उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 90:10, शेष राज्यों के लिए 60:40 और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा है।
ई-विधान के लिए वित्त पोषण संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा और तकनीकी सहायता आइटी मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाती है। बाद में इसे सभी विधानसभाओं, संसद और सभी विधान परिषदों में भी लागू करने की योजना है।
पेपरलेस होने वाला पहला राज्य बना था हिमाचल
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 2014 में एनईवीए कार्यक्रम लागू कर पेपर रहित कामकाज करने वाला पहला राज्य बना। इसे लागू करने की कुल लागत 8.12 करोड़ रुपये आई थी। हिमाचल विधानसभा के अनुसार, इसे लागू करने से पूर्व विधानसभा में कागज की वार्षिक खपत 5.08 करोड़ रुपये की थी, जो 6096 पेड़ों के बराबर है।
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यदि मुद्रण, डाक, जनशक्ति आदि सहित संपूर्ण ओवरहेड लागत को भी शामिल किया जाए तो विधानसभा को चलाने का खर्च सालाना 15 करोड़ रुपये था। इस परियोजना के लागू होने से दो साल में ही इस पर खर्च होने वाली राशि से अधिक बचत हो गई।
एनईवीए एप से ऑनलाइल कामकाज का ब्योरा
एनईवीए एप के इस्तेमाल से विधायकों को कागजी दस्तावेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे अपने टैबलेट पर आवश्यक दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक तरीके से देख सकते हैं। इस एप्लीकेशन के जरिये संसद के दोनों सदनों सहित 40 विधानमंडलों के कामकाज का ब्योरा ऑफलाइन की बजाय ऑनलाइन रखा जाएगा।
संसदीय कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन के साथ-साथ इसकी वेबसाइट भी विकसित की है। एनईवीए पर अंग्रेजी और हिंदी को मिलाकर कुल 13 भाषाओं में जानकारी प्रदान करने का विकल्प है।
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