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FATF: पाकिस्‍तान-ईरान के भविष्‍य पर फैसला लेने के अलावा चर्चा में हैं ये भी मुद्दे

पेरिस में एफएटीएफ की बैठक शुरू हो गई है। इसमें पाकिस्‍तान और ईरान के भविष्‍य पर सबसे अहम चर्चा होनी है। इसके अलावा भी कुछ अन्‍य मुद्दों पर चर्चा जारी है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 14 Oct 2019 02:11 PM (IST)
FATF: पाकिस्‍तान-ईरान के भविष्‍य पर फैसला लेने के अलावा चर्चा में हैं ये भी मुद्दे
नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पाकिस्‍तान को लेकर पूरी दुनिया की निगाह पेरिस में चल रही एफएटीएफ (Financial Action Task Force) की बैठक पर टिकी है। 13-18 अक्‍टूबर तक चलने वाली बैठकों में पाकिस्‍तान के भविष्‍य को लेकर चर्चा होगी। इसमें यह भी तय होगा कि पाकिस्‍तान को काली सूची में डाला जाए या नहीं। फिलहाल पाकिस्‍तान ग्रे लिस्‍ट में है। जून 2018 से  ही वह इस लिस्‍ट में शामिल है। इसी वर्ष अगस्‍त में एशिया पेसेफिक ग्रुप (Asia pacific Group) की बैठक में भी पाकिस्‍तान को टेरर फंडिंग (Terror Funding) पर लगाम न लगा पाने के चलते उसको ब्‍लैक लिस्‍ट (Pakistan Blacklist) करने की संस्‍तुति की गई थी। आपको बता दें कि पाकिस्‍तान एपीजी का सदस्‍य है लेकिन एफएटीएफ के सदस्‍य देशों में वह शामिल नहीं है। वहीं भारत की यदि बात करें तो वह वर्ष 2010 से ही एफएटीएफ (FATF) का सदस्‍य है। इसके अलावा भारत एपीजी और यूरेशियन ग्रुप का भी सदस्‍य है।  

205 देशों के प्रतिनिधि ले रहे हिस्‍सा 

बहरहाल, पेरिस में चल रही बैठक में 205 देशों के प्रतिनिधि हिस्‍सा ले रहे हैं। इसके अलावा इसमें आईएमएफ, संयुक्‍त राष्‍ट्र, वर्ल्‍ड बैंक के अलावा कुछ दूसरे संगठन भी हिस्‍सा ले रहे हैं। छह दिनों तक चलने वाली इस बैठक में अपराध और आतंकवाद के साथ विश्‍‍‍व सुरक्षा और बचाव पर भी चर्चा हो रही है। शियांगमिन लू की अध्‍यक्षा में जो बैठकों का दौर चल रहा है उसमें पाकिस्‍तान का मुद्दा शीर्ष पर है। बैठकों का दौर खत्‍म होने के बाद खुद लू इसमें उठाए गए कदमों की जानकारी मीडिया को देंगे। 

बढ़ता गया दायरा

आपको बता दें कि जुलाई 1989 में जी-7 सम्‍मेलन में इसका गठन किया गया था। इसके गठन का मकसद शुरुआत में मनी लॉड्रिंग रोकने के उपाय करना था। वर्ष 2001 में इसका क्षेत्र बढ़ाया गया और आतंकवाद को होने वाली फंडिंग को इसके दायरे में लाया गया। वर्ष 2012 में इसके तहत व्‍यापक तबाही मचाने वाले हथियारों को रोकने और इसको लेकर होने वाली फंडिंग पर निगाह रखना शामिल किया गया। कहा जा सकता है कि इसके गठन से लेकर अब तक इसमें काफी बदलाव हो चुका है। 

13-18 अक्‍टूबर के दौरान इन मुद्दों पर होगी चर्चा 

  • इस दौरान दुनिया के देशों में अपराध और आतंकवाद द्वारा वर्चुअल एसेट्स को रेगुलेट करने पर चर्चा होगी। इस बारे में यह भी देखा जाएगा कि देशों ने इसके लिए क्‍या उपाय किए हैं। 
  • इस दौरान स्‍टेबलकॉयन (stablecoins) के संभावित प्रभावों पर भी चर्चा होगी। विभिन्‍‍‍न क्रिप्‍टोकरेंसी को स्‍टेबलकॉयन का नाम दिया गया है। इसके अलावा इसके जोखिम पर भी व्‍यापक चर्चा होनी है। एफएटीएफ बाद में इसकी सभी जानकारियों को जी20 देशों को भी बताएगा। 
  • इसके अलावा एफएटीएफ में रूस और तुर्की द्वारा आतंकियों को की जा रही फंडिंग पर रोक के अलावा मनी लॉड्रिंग पर रोक को लेकर जो प्रयास किए गए हैं, उन पर चर्चा होगी।  
  • इसमें डेनमार्क, नॉर्वे, आयरलैंड, सऊदी अरब, सिंगापुर और स्‍पेन पर भी चर्चा होनी है।  
  • एफएटीएफ की बैठक में आतंकवाद को लेकर होने वाली फंडिंग के मुद्दे पर पाकिस्‍तान और ईरान के भविष्‍य को लेकर चर्चा होगी। इसमें यह जांचा जाएगा कि एफएटीएफ के कितने पैरामीटर यह दोनों देश पूरा कर सके हैं। आपको बता दें कि अगस्‍त में हुई एपीजी की बैठक में माना गया था कि पाकिस्‍तान 40 में से 32 पैरामीटर पर खरा नहीं उतरा है। इसके मुताबिक पाकिस्‍तान केवल 8 पैरामीटर ही पूरा कर सका था। 
  • इस दौरान अवैध वन्यजीव व्यापार के माध्‍यम से होने वाली अवैध कमाई और इसके प्रवाह को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर भी चर्चा होगी। 
  • इस दौरान आतंकी संगठन आईएस, अलकायदा और इसके दूसरे संगठनों को हो रही फंडिंग पर भी इस दौरान चर्चा होनी है। 
  • इस दौरान चलने वाली बैठकों में आईएमएफ, वर्ल्‍ड बैंक, संयुक्‍त राष्‍ट्र, ओईसीडी, एगमॉन्‍ट ग्रुप ऑफ फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट, समेत दूसरे संगठन समेत एफएटीएफ की क्षेत्रिय इकाईयां अपनी रिपोर्ट साझा करेंगे जिसपर बाद में चर्चा होगी। 
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