Gujarat and Maharashtra Day: 63 साल पहले आज ही के दिन भारत के दो राज्य हुए थे अलग, PM मोदी ने दी बधाई
Gujarat and Maharashtra Sthapana Diwas 2023 भारत के दो राज्य महाराष्ट्र और गुजरात 1 मई को अपना स्थापना दिवस मनाते हैं। बता दें कि भारत की आजादी के समय गुजरात और महाराष्ट्र राज्य बॉम्बे प्रदेश का हिस्सा थे।
By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 01 May 2023 10:47 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Gujarat and Maharashtra Sthapana Diwas 2023: आज गुजरात और महाराष्ट्र दिवस मनाया जा रहा है।
1 मई को महाराष्ट्र दिवस, गुजरात स्थापना दिवस और अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन उत्साह के साथ मनाया जाता है क्योंकि 63 साल पहले आज ही के दिन दोनों राज्यों की नींव रखी गई थी। भाषाई आधार पर बॉम्बे के तत्कालीन राज्य के विभाजन के बाद 1960 में इस दिन दोनों राज्यों का गठन किया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को महाराष्ट्र और गुजरात के स्थापना दिवस पर लोगों को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया,'महाराष्ट्र दिवस की शुभकामनाएं। राज्य को एक महान संस्कृति और मेहनती लोगों का आशीर्वाद प्राप्त है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय प्रगति को समृद्ध किया है। मैं आने वाले वर्षों में महाराष्ट्र की निरंतर प्रगति की प्रार्थना करता हूं।'पीएम मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'गुजरात स्थापना दिवस की बधाई। गुजरात ने अपनी सर्वांगीण प्रगति के साथ-साथ अपनी अनूठी संस्कृति के कारण अपनी छाप छोड़ी है। मैं प्रार्थना करता हूं कि यह राज्य आने वाले समय में विकास की नई ऊंचाइयों को छूता रहे।'
#WATCH | Mumbai: Maharashtra CM Eknath Shinde flags off the bike rally from August Kranti Maidan to Shivaji Park in Dadar, on the occasion of 63rd Maharashtra Foundation Day. pic.twitter.com/yWuIT0qQ5C
— ANI (@ANI) May 1, 2023
महाराष्ट्र और गुजरात कैसे बने अलग-अलग राज्य
भाषाई सीमाओं के आधार पर देश को राज्यों में विभाजित किया गया। राज्य मान्यता अधिनियम, 1956 के तहत, बॉम्बे को एक राज्य के रूप में मान्यता दी गई थी। बंबई के गठन के समय मराठी, गुजराती, कोंकणी और कच्छी जैसी भाषाएं बोलने वाले लोग थे।गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्य आजादी से पहले और आजादी के बाद कुछ समय के लिए बंबई प्रांत का हिस्सा रहे। उस समय मराठी और गुजराती बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा थी। भाषा-वार क्षेत्रीयकरण के कारण दोनों ने ही अलग राज्य की मांग की गई।