माय सिटी माय प्राइड : शिक्षा में क्या बदलाव हुआ कितना बाकी, बताइए आप
माय सिटी माय प्राइड अभियान में शहर के विकास के मानकों में शिक्षा भी शामिल था।
By Krishan KumarEdited By: Updated: Mon, 27 May 2019 06:49 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन: एक बेहतर इंसान ही बेहतर राष्ट्र का निर्माण करता है और इसकी बुनियाद शिक्षा है। शिक्षा के माध्यम से कोई भी शख्स खुद का विकास करने के साथ-साथ खुद से जुड़े लोगों को भी विकसित करता है। नेल्सन मंडेला ने भी माना था कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसे आप दुनिया को बदल सकते हैं। दैनिक जागरण और जागरण न्यू मीडिया के माय सिटी माय प्राइड अभियान में शहर के विकास के मानकों में शिक्षा को भी रखा गया था।
इस दौरान शहर के सम्मानित नागरिकों, जनप्रतिनिधियों ने शिक्षा में विभिन्न कमियों पर चर्चा की थी। साथ ही, इसके उत्थान के विषय में क्या किया जा सकता है? इस पर अपनी राय भी दी थी। अब हम आपसे जानना चाहते हैं कि आपके शहर में शिक्षा के क्षेत्र में कितना बदलाव हुआ है। अभियान में 10 शहर लखनऊ, कानपुर, वाराणसी,लुधियाना, मेरठ, पटना, देहरादून, इंदौर, रायपुर और रांची शामिल थे ।
माय सिटी माय प्राइड अभियान के दौरान 545 मुद्दे सभी शहरों से चयनित हुए थे। जिसमें 110 समाधानों में शिक्षा के लिए 22 चुने गये थे। इस बावत लोगों ने प्रण लिया कि इन 22 कार्यों को हर हाल में सुनिश्चित तरीके से पूरा करेंगे। इस दौरान कई सकारात्मक कार्य भी हुए हैं, जिसमें लखनऊ में कृष्णानगर और गऊघाट के पास झोपड़ पट्टी में रहने वाले बच्चों को कॉन्वेंट शिक्षा का अधिकार मिला है। मेरठ में इस अभियान में लोगों ने अपार समर्थन दिखाया। मेरठ पब्लिक स्कूल में बसंत पंचमी के दिन लाइब्रेरी खोले जाने की बात सुनिश्चित हुई है। जहां सभी स्कूल-कॉलेज के सभी बच्चे किताबें पढ़ सकेंगे।
वहीं, लुधियाना में 333 सरकारी स्कूल स्मार्ट हो रहे हैं।
पटना भी इस बदलाव के साथ दिखा, यहां इनर व्हील क्लब ऑफ पटना द्वारा 22 नवंबर को जगदेव पथ के मुरलीचक और फुलवारीशरीफ स्थित उफरपुरा में दो हैप्पी स्कूल की शुरुआत की गई। इन दोनों सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूल की तरह सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। क्लब द्वारा स्कूलों में खेलने के सामान, कोर्स की किताबों से लेकर मनोरंजन की किताबें मुहैया करवाई गई हैं।
रांची में फोरम के बाद हुई राउंडटेबल कॉन्फ्रेंस में गरिमा पॉजिटिव फाउंडेशन की सोहिनी रॉय ने 10 गरीब लड़कियों को नि:शुल्क कम्प्यूटर व रोजगार के प्रशिक्षण दिए जाने की जानकारी दी थी। उन्होंने इसकी संख्या को बढ़ाकर कम से कम 100 किए जाने का भरोसा दिलाया था। रायपुर में भी माय सिटी माय प्राइड अभियान का सकारात्मक असर दिखा यहां शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अहम बदलाव हुए, जिनमें सरकारी स्कूलों में भी पेरेंट्स-टीचर मीटिंग अनिवार्य हो गई है। वहीं सेवा भावना से स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाने के इच्छुक लोगों के लिए ऐप जल्द आने की बात सुनिश्चित हुई थी। इसे पूरा करने की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने ली थी।
यहां शिक्षा के क्षेत्र में इन कामों पर जताई गई थी चिंता : इंदौर में शासकीय स्कूलों में सुविधाओं के अभाव पर चिंता जताई गई थी। इस कमी को पूरा करने की जिम्मेदारी विमानपत्तन प्राधिकरण और अन्य संस्थाओं ने दिखाई थी। वहीं, यह भी तय हुआ था कि शासकीय स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को समय-समय पर काउंसलिंग सेशन कराए जाएंगे।कानपुर में सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाये जाने की बात तय हुई थी। इसकी जिम्मेदारी एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिखा सिंह व्यापारी नेता संत मिश्रा, मुकुंद मिश्रा, समाजसेवी शिवकुमार शुक्ला गोपाल और डॉ. अनूप जैन ने ली थी। सर्वविद्या की राजधानी वाराणसी में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए स्वयंसेवियों की ओर से मुफ्त कोचिंग दिए जाने की बात तय हुई थी। इसे पूरा करने के लिए डीएवी कॉलेज के शिक्षक आगे आये थे।