माय सिटी माय प्राइड : अर्थव्यवस्था को कितने लगे पंख, बताएं आप
माय सिटी माय प्राइड अभियान में शहर के विकास को आंकने के लिए महत्वपूर्ण पिलर अर्थव्यवस्था था।
नई दिल्ली, जेएनएन: माय सिटी माय प्राइड अभियान में शहर के विकास को आंकने के लिए महत्वपूर्ण पिलर अर्थव्यवस्था था। इसमें शहर में बेहतर अर्थव्यवस्था बनाये जाने के लिए लोगों ने कई सुझाव दिए थे। अब हम आपसे यह जानना चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था के लिए तय मु्द्दों की विकास गति कितनी है। सभी दस शहरों में विकास में बाधक बनी 545 बड़ी समस्याओं की पहचान की गई थी। अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए इन शहरों में 10 कामों को नागरिकों और स्थानीय प्रशासन ने हाथों में लिया था।
दैनिक जागरण और जागरण ऑनलाइन के पाठक होने के नाते हम आपसे जानना चाहते हैं जो काम आपके शहर के जनप्रतिनिधियों, जनता और सामाजिक संगठनों ने अपने हाथ में लिए थे,उनकी गति क्या है? आपका चंद मिनटों का कीमती समय शहर को और बेहतर बना सकता है। किसी शहर की अर्थव्यवस्था कैसी है? इससे वहां के लोगों को रोजगार और विकास के अन्य मानक तय होते हैं यानी वहां की अर्थव्यवस्था अच्छी है तो जाहिर है कि नौकरी के अवसर भी वहां मौजूद होंगे। लोगों को रोजगार के लिए दूर नहीं जाना होगा। गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से मुक्ति संभव है।लखनऊ में अर्थव्यस्था को बेहतर करने के लिए तीन मुद्दे चुने गये थे। इनमें 750 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना शामिल था। इसकी जिम्मेदारी सिटिजन फाउंडेशन को दी गई थी। वहीं,महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग, बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देने की बात तय हुई थी। इसे पूरा करने का बीड़ा अंश वेलफेयर फाउंडेशन ने लिया था। इसी तरह वाराणसी में युवाओं को एमएसएमई द्वारा ट्रेनिंग देने की बात तय थी।