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माय सिटी माय प्राइड फिर से : कितनी हुई है आपके शहर की प्रगति, बताएंगे आप !

'दैनिक जागरण' और "जागरण न्यू मीडिया'का 'माय सिटी माय प्राइड' अभियान एक बार फिर से आपके बीच आ रहा है।

By Krishan KumarEdited By: Updated: Sun, 17 Mar 2019 11:09 AM (IST)

नई दिल्ली, जेएनएन : 'दैनिक जागरण' और "जागरण न्यू मीडिया' का 'माय सिटी माय प्राइड' अभियान एक बार फिर से आपके बीच आ रहा है। इस बार हम आपसे आपके शहर में शुरू हो रहे विकास कार्यों की प्रगति जानना चाह रहे हैं। अभियान में पांच पिलर - स्वास्थ्य, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा शामिल थे।10 शहर में शुरू हुए इस अभियान के माध्यम से चर्चा के बाद इन पिलर से सम्बंधित कई समस्याएं सामने आईं थी। जिसके बाद कुछ कार्य भी शहरवार लोगों को सौंपे गये थे। हर शहर से 11 समाधान चुने गये थे, जिन्हें नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और निजी संस्थाओं को पूरा करना था।

अब समय है उन कार्यों के बारे में जानने का, उनकी प्रगति रिपोर्ट देखने का। यह आपके बिना नहीं हो सकता, ऐसे में आपकी साझेदारी और आपका कुछ मिनट का कीमती समय आपके शहर को और बेहतर बना सकता है। माय सिटी माय प्राइड अभियान का अहम लक्ष्य था कि जो मुद्दे शहर के बुद्धिजीवी और गणमान्य लोगों ने विभिन्न चर्चाओं के बाद तय किए हैं उन्हें पूरा किया जाये।

बता दें कि माय सिटी माय प्राइड अभियान के तहत 2 जुलाई से 30सितम्बर के बीच लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, लुधियाना, मेरठ, पटना, देहरादून, इंदौर, रायपुर और रांची शहर शामिल रहे। इस अभियान के लिए जागरण समूह ने 10 शहरों में 90 राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी। इनमें 1173 विषय विशेषज्ञ,प्रशासनिक अधिकारियों को आमंत्रित किया गया था। इसमें उनसे पांचों पिलर पर रायशुमारी की गई थी। खास यह था कि इस पूरे अभियान के दौरान 735 विशेष लेख अख़बार और वेबसाइट में प्रकाशित किये गए। इसके बाद भी हर माह शहर में हो रहे कामों की प्रगति रिपोर्ट देखने के लिए अब भी प्रत्येक माह चुने गये 110 कार्यों की प्रगति देखने के लिए राउंडटेबल का आयोजन किया जाता है।

545 बड़ी समस्याएं हुईं थी चिह्रि‍त : इन शहरों में हुई बैठकों के शहरों के विकास में बाधक बनी 545बड़ी समस्याओं की पहचान की गई। इसके बाद जागरूक नागरिकों,जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और निजी संस्थाओं ने 'माय सिटी माय प्राइड' फोरम में 11-11 समाधान प्रस्तुत किये। इनमें से प्रत्येक समाधान को लागू करने के लिए संगठन या व्यक्ति को उत्तरदायित्व मिला है।

सबसे ज्यादा चुने गये थे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम :110 समाधानों में सबसे ज्यादा इन्फ्रास्ट्रक्चर के काम चुने गए थे,इनकी संख्या 44 है। शिक्षा के लिए 22 कामों को चुना गया है। स्वास्थ्य पर इन शहरों में 20 काम होंगे। वहीं, सुरक्षा पर 14 कामों को करने के लिए लोगों ने सहमति दी है। अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए इस शहरों में 10 कामों को नागरिकों और स्थानीय प्रशासन ने हाथों में लिया था।

इंदौर रहा था टॉप पर :स्वास्थ्य, इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर 2 जुलाई से 20 अगस्त के बीच लोगों ने ऑनलाइन राय दी थी। ' माय सिटी माय प्राइड' वेबसाइट पर हर मुद्दे पर पर राय जताने के लिए 1-5 के बीच अंक दिए जाने थे। पांचों बुनियादी सुविधाओं से संबंधित कुल41 सवाल थे। लोगों के जवाब के आधार पर सिटी लिवेबिलिटी रिपोर्ट बनाई गई। इसमें इंदौर अव्वल रहा। सूची में लखनऊ दूसरे स्थान पर रहा। देहरादून तीसरे स्थान पर, वाराणसी चौथे व रायपुर पांचवें स्थान पर काबिज रहा। रांची को छठा, मेरठ को सातवां,लुधियाना को आठवां और पटना को नौवां स्थान हासिल हुआ। इस सूची में यूपी का एक बड़ा शहर कानपुर दसवें स्थान पर रहा।