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भारतीय छात्रों को सलाह, यूक्रेन सीमा पर सीधे न जाएं, विदेश मंत्रालय की सलाह, कहा- संयम बरतें छात्र, आक्रामक रवैया न अपनाए

विदेश मंत्रालय ने सोमवार को अपनी नियमित प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि यूक्रेन की सीमा से लगे चार देशों में भारत सरकार ने विशेष दूत तैनात करने का निर्णय लिया है ताकि तेज गति से भारतीयों की निकासी हो सके।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Mon, 28 Feb 2022 11:57 PM (IST)
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रूस से बड़े हमले के खतरे के बीच भारत ने अपने नागरिकों को निकालने की कोशिशें तेज कर दी है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। यूक्रेन की राजधानी कीव और देश के सभी पूर्वी हिस्सों में हालात इतनी तेजी से बदल रहे हैं कि वहां फंसे भारतीय छात्रों को बाहर निकालने के लिए विदेश मंत्रालय को अपनी योजना बार-बार बदलनी पड़ रही है। ऐसे में यूक्रेन में फंसे सभी छात्रों और अन्य नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे सीमा पार करने के लिए खुद नहीं जाएं। क्योंकि यूक्रेन से बाहर निकलने के हर रास्ते पर भारी भीड़ है और वहां जाने से भारी ठंड में दो-तीन दिन का इंतजार करना पड़ सकता है।

मालदोवा के साथ भी बातचीत

इसके साथ ही भारत ने यूक्रेन के एक अन्य पड़ोसी देश मालदोवा के साथ बातचीत शुरू की है ताकि वहां से भी विद्यार्थियों को बाहर निकालने की व्यवस्था हो सके। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, मैं सभी छात्रों और उनके परिवार के लोगों से अपील करूंगा कि वे अपने बच्चों को यह संदेश दें कि उन्हें अपने आप ही किसी भी बार्डर पोस्ट पर नहीं जाना है। जिन लोगों ने अभी तक ऐसा किया है उन्हें लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है और ठंड की वजह से कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं।

मोबाइल नंबर या ई-मेल से संपर्क साधें

अगर संभव हो तो छात्र दक्षिणी सीमा पर स्थित शहरों या गांवों में शरण लेने की कोशिश करें और अपने आपको सुरक्षित रखें। साथ ही विदेश मंत्रालय की तरफ से उपलब्ध कराए गए मोबाइल नंबर या ई-मेल से संपर्क साधें।

सभी का एकसाथ जवाब कैसे दें

विद्यार्थियों की तरफ से मोबइल या फोन पर संपर्क नहीं होने या जवाब नहीं दिए जाने की आ रही शिकायतों पर बागची ने कहा कि सैकड़ों लोगों के फोन वहां भेजे गए अधिकारियों के पास आ रहे हैं। इन सभी का जवाब तुरंत देने में दिक्कत है, लेकिन हर फोन काल या ई-मेल का धीरे-धीरे जवाब दिया जा रहा है। मुश्किल समय होने के बावजूद सभी को धैर्य दिखाना होगा।

रोमानिया होते हुए स्वदेश लाने की योजना

बागची ने बताया कि एक नया रास्ता पड़ोसी देश मालदोवा के जरिये खोलने की तैयारी हो रही है। भारतीयों को पहले मालदोवा और उसके बाद रोमानिया होते हुए स्वदेश लाने की योजना है। इसी तरह मास्को स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी युद्धग्रस्त पूर्वी सीमा पर भी नजर बनाए हुए हैं। इसी रास्ते से रूसी सेना ने यूक्रेन पर हमला किया है और इस सीमा के पास ही खार्कीव शहर में स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी में सैकड़ों भारतीय विद्यार्थियों के फंसे होने की संभावना है।

बार्डरों की स्थिति में आ रहा बदलाव

कोशिश है कि जैसे ही युद्ध में राहत मिले तो रूस की सीमा से ही उन्हें निकाला जाए, लेकिन इसमें अभी वक्त लग सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि यूक्रेन में हालात तेजी से बदलने की वजह से भी कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं। साथ ही सीमावर्ती शहरों और बार्डरों की स्थिति में भी बदलाव आ रहे हैं।

बढ़ाई जा रही अधिकारियों की संख्‍या

सीमा पर जुटे लोगों के पासपोर्ट पहले यूक्रेन के अधिकारी जांच रहे हैं और उसके बाद दूसरे देश के अधिकारी उनकी जांच कर रह हैं। हालांकि यह जांच ज्यादा विस्तार से नहीं हो रही है, लेकिन फिर भी देरी हो रही है। देरी के पीछे एक वजह यह भी है कि ये अपेक्षाकृत छोटे देश हैं और इनके यहां आव्रजन अधिकारियों की संख्या सीमित है। भारतीय विदेश मंत्रालय के पास भी तैनात अधिकारियों की संख्या सीमित है, उनकी संख्या बढ़ाई जा रही है।

पोलैंड और हंगरी की सीमा पर भारी भीड़

यूक्रेन की पश्चिमी सीमा से सटे देशों की सीमा पोस्ट पर भेजे गए अधिकारियों से संपर्क करने वाले विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पोलैंड और हंगरी की सीमा पर उम्मीद से ज्यादा यूक्रेनवासी पहुंच गए हैं जिनमें औरतों और बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है। इन देशों के अधिकारी भावनात्मक आधार पर यूक्रेन से आए शरणार्थियों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।