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आज के समय में अधिक प्रासंगिक हैं राजा सुहेलदेव के संदेश : अमीश त्रिपाठी

लीजेंड ऑफ सुहेलदेव’ किताब ग्यारहवीं शताब्दी के वीर राजा सुहेलदेव के जीवन पर आाधारित यह किताब आजकल पाठकों की पहली पसंद बनी हुई है।

By Vinay TiwariEdited By: Updated: Thu, 23 Jul 2020 06:29 PM (IST)
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आज के समय में अधिक प्रासंगिक हैं राजा सुहेलदेव के संदेश : अमीश त्रिपाठी
नई दिल्ली [ स्मिता ]। पौराणिक पात्रों पर कई किताबें लिखने के बाद लोकप्रिय लेखक अमीश त्रिपाठी ने इस बार ऐतिहासिक पात्र-अदम्य साहस के प्रतीक वीर राजा सुहेलदेव पर लिखा है। प्रकाशित होने से पहले ही ‘लीजेंड ऑफ सुहेलदेव’ किताब चर्चा में थी। ग्यारहवीं शताब्दी के वीर राजा सुहेलदेव के जीवन पर आाधारित यह किताब आजकल पाठकों की पहली पसंद बनी हुई है। इन दिनों पुस्तक लेखन के लिए अमीश लंदन में रह रहे हैं। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल- अभी तक पौराणिक पात्रों पर लिख रहे थे, तो एकाएक ऐतिहासिक पात्र पर लिखने की वजह? 

जवाब- आप इसे माइथोलॉजिकल फिक्शन कहें या फैंटेसी फिक्शन, मैंने पहले भी जो किताबें, जैसे कि शिवा ट्रायोलॉजी, रामचंद्र सिरीज आदि लिखी हैं, उसे हिस्टॉरिकल फिक्शन के रूप में ही लिखा। अपनी किताब में मेलुहा या सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों आदि के बारे में जो भी वर्णन किया, वह इतिहास के तथ्यों के अनुरूप है। इसलिए ‘लीजेंड ऑफ सुहेलदेव’ में भी वही निरंतरता बनी हुई है।

एक बार गोआ में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान मैंने राजा सुहेलदेव की वीरता के बारे में सुना। मेरे दो मित्र, जो अपने-अपने विषय के ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ हैं-अभिनव प्रकाश (दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर) और संजीव सान्याल (अर्थशास्त्री और इतिहासकार), दोनों से बहराइच के युद्ध और राजा सुहेलदेव के बारे में सुनकर मैं काफी रोमांचित हो गया। साथ ही, यह जानकर दुखी भी हुआ कि जिस वीर सपूत ने भारत मां की रक्षा के लिए युद्ध किया, उनके बारे में देश के ज्यादातर लोग न के बराबर जानते हैं। मैंने तभी इस पर कहानी लिखना तय किया-लीजेंड ऑफ सुहेलदेव।

सवाल- इस बार आपने अकेले नहीं, बल्कि पूरी एक टीम के साथ मिलकर किताब लिखी, ऐसा क्यों? 

जवाब- मेरे पास कई स्टोरी आइडियाज थे और मैंने एक साथ कई किताबों पर काम करना शुरू कर दिया। तब यह योजना इम्मॉर्टल राइटर्स सेंटर्स की टीम की तरफ से प्रस्तावित की गई। इस तरह का काम विदेश में तो खूब हुआ है, लेकिन भारत में अभी तक आजमाया नहीं गया था। इसी योजना के कारण ‘रावण: एनिमी ऑफ आर्यावर्त’ नॉवेल प्रकाशित होने के एक साल के अंदर ‘लीजेंड ऑफ सुहेलदेव’ आ पाया। 

लेखन की यह प्रक्रिया काफी सरल है। इसके तहत हमारी टीम ने चार पब्लिश्ड राइटर को हायर किया। मैंने नॉवेल के मुख्य पात्रों को शामिल करते हुए पांच-दस हजार शब्दों में संक्षेप में पूरी कहानी लिखी। तब टीम या टीम के किसी एक सदस्य ने मेनुस्क्रिप्ट का पहला ड्राफ्ट तैयार कर लिया, जो लगभग साठ-पैंसठ हजार शब्दों का था। इस पर मैंने आगे काम किया और दूसरा ड्राफ्ट फाइनल किया। इससे मेरी काम करने की क्षमता बढ़ी और मैं कई और किताबों पर एक साथ काम कर पाया।

सवाल- राजा सुहेलदेव को ही क्यों चुना? 

जवाब- राजा सुहेलदेव की कहानी ने मुझे बेहद प्रभावित किया। मुझे इस बात पर आश्चर्य हो रहा था कि अब तक यह कहानी इतिहासकारों और कहानीकारों द्वारा उपेक्षित कैसे रह गई? राजा सुहेलदेव का संदेश आज के समय में अधिक प्रासंगिक है। जब तक हम भारतीय एकता के सूत्र में बंधे हैं-तब तक अपराजेय हैं। राजा सुहेलदेव ने एक हजार साल पहले प्रत्येक धर्म, जाति और समुदायों को एकसूत्र में बांधा था और देश के क्रूरतम आक्रमणकारी गजनवी तुर्क से लोहा लिया।

सवाल- आपकी अगली किताब कौन सी होगी? 

जवाब- मैं पाठकों को बता देना चाहता हूं कि रामचंद्र सीरीज की चौथी किताब को पूरा करने में जुटा हुआ हूं। आशा है कि यह 2021 के मध्य में प्रकाशित हो जाएगा। इसके अलावा, राइटर्स सेंटर के तहत तीन फिक्शन और दो नन-फिक्शन पर भी काम कर रहा हूं। इन दिनों आप लंदन में रह रहे हैं।

सवाल- क्या सिर्फ किताब लिखने के लिए लंदन प्रवास हुआ? 

जवाब- मैं इस समय यूके के भारतीय दूतावास में नेहरू सेंटर ऐंड मिनिस्टर (कल्चर) के डायरेक्टर के रूप में काम कर रहा हूं। मैं न सिर्फ नेहरू सेंटर की गतिविधियों को ऑनलाइन चला रहा हूं, बल्कि ‘लीजेंड ऑफ सुहेलदेव’ के प्रचार-प्रसार में भी व्यस्त हूं। साथ ही रामचंद्र सीरीज की चौथी किताब भी लिख रहा हूं।

सवाल- सुहेलदेव के लिए कितना रिसर्च किया? 

जवाब- राजा सुहेलदेव पर सामग्री तो मिली, लेकिन ज्यादातर सामग्री राजा के मरने के कई शताब्दी बाद लिखी गई थी। जनश्रुतियों में उपलब्ध कहानियां भी थीं मेरे पास। सभी पर मैंने रिसर्च किया। भले ही यह ऐतिहासिक तथ्यों पर लिखी गई हो, लेकिन पठनीय बनाने के लिए इसमें फिक्शनल एलिमेंट भी जोड़े गए। पाठक मानते हैं कि ‘इम्मॉट्लर्स ऑफ मेलुहा’ जैसी किताब कभी -कभार ही लिखी जाती है। आपके सुंदर शब्दों के लिए आभार। यह सब भगवान शिव की कृपा है।