मेवात सेक्सटार्शन तो झारखंड वेरिफिकेशन साइबर अपराध का केंद्र, साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर प्रति दिन दर्ज हो रही हैं 45-50 हजार शिकायतें
इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर(आइ4सी)द्वारा संचालित हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के अनुसार हरियाणा और राजस्थान में फैले मेवात के इलाका सेक्सटार्शनआनलाइन बुकिंग ओएलएक्स तो झारखंड केवाइसी एक्सपाइरी आधार से जुड़े पेमेंट सिस्टम एनड्राइड बैंकिंग मालवेयर बिजली बिल के भुगतान व कनेक्शन कटने से संबंधित साइबर अपराध का केंद्र है। वहीं बेंगलुरू और दक्षिण भारत के कुछ स्थान पर सिम बाक्स काल सेंटर से जुड़े अपराध सामने आ रहे हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 के प्रसार के बाद पूरे देश में साइबर अपराधों की तस्वीर साफ होने लगी है। इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) द्वारा संचालित हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के अनुसार हरियाणा और राजस्थान में फैले मेवात के इलाका सेक्सटार्शन, आनलाइन बुकिंग, ओएलएक्स तो झारखंड केवाइसी एक्सपाइरी, आधार से जुड़े पेमेंट सिस्टम, एनड्राइड बैंकिंग मालवेयर, बिजली बिल के भुगतान व कनेक्शन कटने से संबंधित साइबर अपराध का केंद्र है।
वहीं बेंगलुरू और दक्षिण भारत के कुछ स्थान पर सिम बाक्स काल सेंटर से जुड़े अपराध सामने आ रहे हैं। जाहिर है साइबर अपराध से निपटने में जुटी एजेंसियां इसी के अनुसार अपनी रणनीति को धार देने में जुटी हैं। आइ4सी के सीईओ राजेश कुमार के अनुसार हेल्पलाइन नंबर 1930 पर प्रति दिन औसतन 45 से 50 हजार साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें आ रही हैं। इनमें से 35 फीसद मामले कस्टमर केयर नंबर, रिफंड, केवाईसी की एक्सपाइरी और रिमोट एक्सेस और 38 फीसद मामले निवेश, टास्क आधारित स्कैम और आथोराइज्ड पुश पेमेंट से संबंधित होते हैं।
सेक्सटार्शन से आ रही है 25 फीसद शिकायत
वहीं सेक्सटार्शन से 25 फीसद शिकायत आ रही है। आनलाइन रोमांस से संबंधिक अपराध की शिकायत भी 11 फीसद दर्ज की गई है। आनलाइन बुकिंग, फर्जी फ्रेंचाइजी, क्यूआर कोड से जुड़ी 22 फीसद, आधार से जुड़े पेमेंट और बाओमेट्रिक क्लोनिंग से संबंधित शिकायतें 11 फीसद हैं।दिशा निर्देशों का सही तरीके से नहीं हो रहा पालन
साइबर अपराधों के इस विश्लेषण से संबंधित एजेंसियों को इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने में मदद मिल रही है। हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज शिकायतों से एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। भले ही साइबर अपराधी झारखंड और मेवात के इलाके में अधिक सक्रिय हों, लेकिन उनके लिए अवैध सिम पश्चिम बंगाल और ओडिशा से उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इससे साफ है कि इन दोनों राज्यों में सिम बेचने में दूरसंचार विभाग के दिशा निर्देशों का पालन सही तरीके से नहीं हो रहा है।