चंद्रमा पर मानव के उतरने की तैयारी पूरी, भारत जल्द स्थापित करेगा स्पेस स्टेशन, मंत्री ने बता दिया समय
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि गगनयान अगले साल अंतरिक्ष की उड़ान भरेगा क्योंकि कोरोना की वजह से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान मिशन में दे हो गई। इसके साथ ही भारत रोबोट उड़ानें भेजने का भी लक्ष्य बना रहा है। साल 2025 में एक महिला रोबोट वायुमित्रा को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह रोबोट एक अंतरिक्ष यात्री की सभी गतिविधियां करेगा और धरती पर वापस आएगा।
आईएएनएस, नई दिल्ली। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो भारत 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा। वहीं, 2040 तक चंद्रमा पर मानव उतारकर इतिहास रचेगा। यह बातें केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहीं।
राज्य मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई घोषणाएं भविष्य को देखते हुए बनाई गई है। उन्होंने 2025 की दूसरी छमाही तक एक भारतीय एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजने और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय उतारने की महत्वाकांक्षी योजना की बात कही।
10 सालों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पांच गुना तक बढ़ेगी
उन्होंने ने कहा, "2023 में हमने 1,000 करोड़ रुपये का निवेश देखा। अनुमान है कि अगले 10 सालों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पांच गुना या लगभग 44 बिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगी।" साथ ही उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों के विदेशी स्पेस एजेंसियों के साथ काम करने को लेकर कहा कि इससे विदेश जाने वाली प्रतिभाओं को रोकने की उम्मीद है।कोरोना की वजह से गगनयान में देरी हुई
उन्होंने बताया कि गगनयान अगले साल अंतरिक्ष की उड़ान भरेगा क्योंकि कोरोना की वजह से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान मिशन में दे हो गई। इसके साथ ही भारत रोबोट उड़ानें भेजने का भी लक्ष्य बना रहा है। साल 2025 में एक महिला रोबोट, वायुमित्रा को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह रोबोट एक अंतरिक्ष यात्री की सभी गतिविधियां करेगा और धरती पर वापस आएगा।
भारत में डिजिटल स्पेस स्टार्टअप को बढ़ावा मिला
2023 की नई अंतरिक्ष नीति का हवाला देते हुए मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि नई नीति से भारत में डिजिटल स्पेस स्टार्टअप को बढ़ावा दिया है। सिंह ने कहा कि नई नीति ने इसरो की गतिविधियों में प्राइवेट सेक्टर के लिए भाग लेने के दरवाजे खोले हैं।मंत्री ने कहा कि इसरो के बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुए उन्होंने इसरो परिसर में एक निजी लॉन्चपैड भी स्थापित किया है।
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