'अब नजरअंदाज करने के मूड में नहीं...', आतंकवाद पर पाकिस्तान को सख्त संदेश, एस जयशंकर ने सुनाई खरी-खरी
भारत की ओर से कई बार कड़ा संदेश देने के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसे भारत के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की नीति से बाज नहीं आया है। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले में कड़ रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि भारत बख्शने या नजरअंदाज करने के मूड में नहीं है।
पीटीआई, नई दिल्ली। आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाई है और कहा है कि भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर बख्शने के मूड में नहीं है। विदेश मंत्री ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि अब इस समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा हैं। यहां पर उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (आईएसएएस) में अपनी लिखित पुस्तक 'व्हाई भारत मैटर्स' पर आयोजित एक व्याख्यान कार्यक्रम में हिस्सा लिया। व्याख्यान के बाद पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने पाकिस्तान पर ये टिप्पणियां कीं।
उन्होंने पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा," पाकिस्तान अब उद्योग स्तर पर आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है, भारत का मूड अब आतंकवादियों को नजरअंदाज करने का नहीं है और अब इस समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा"।
हर देश चाहता है स्थिर पड़ोसी
पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "हर देश एक स्थिर पड़ोस चाहता है और कुछ नहीं तो आप कम से कम एक शांत पड़ोस तो चाहते हैं। हालांकि, दुर्भाग्य से, भारत के साथ ऐसा नहीं है।"
जयशंकर ने आगे कहा, "आप ऐसे पड़ोसी से कैसे निपटेंगे, जो इस तथ्य को नहीं छिपाता है कि वह आतंकवाद को शासन के साधन के रूप में इस्तेमाल करता है। यह एक बार होने वाली घटना नहीं है, बल्कि निरंतर है, लगभग उद्योग स्तर पर। इसलिए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमें खतरे को एड्रेस करने का एक तरीका ढूंढना होगा, इसे नजरअंदाज करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि यह केवल और अधिक परेशानियां बढ़ाएगा।
नहीं करेंगे नजरअंदाज
उन्होंने कहा "मेरे पास इस मुद्दे पर तुरंत कोई तात्कालिक समाधान नहीं है। लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि भारत अब इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करेगा। हम यह नहीं कहेंगे कि ठीक है, ऐसा हुआ, आइए अपनी बातचीत जारी रखें।"विदेश मंत्री ने समस्या पर जोर देते हुए कहा, "हमारे पास एक समस्या है और हमें उसका सामना करने के लिए पर्याप्त ईमानदार होना चाहिए, चाहे वह कितनी ही कठिन क्यों न हो। हमें दूसरे देश को यह कहकर खुली छूट नहीं देनी चाहिए कि वे इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते हैं या यह एक बहुत बड़ी समस्या है, या फिर बहुत कुछ दांव पर है, जिससे हमें इसे नज़रअंदाज़ कर देना चाहिए।"
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