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स्कूल के लंच बाक्स से लेकर विश्वविद्यालय की कैंटीन तक में शामिल होगा मोटा अनाज, यूएन की घोषणा के बाद उठाया कदम

शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज (मिलेट्स) वर्ष के रूप में मनाने के संयुक्त राष्ट्र महासभा की घोषणा के बाद यह कदम उठाया है। संयुक्त राष्ट्र ने यह घोषणा भारत की पहल पर किया था।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Tue, 01 Nov 2022 11:31 PM (IST)
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मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थ होंगे अनिवार्य
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली: पोषक तत्वों से भरपूर मोटे अनाज की खूबियों से अब न सिर्फ पूरी दुनिया परिचित होगी बल्कि हमारे बच्चों के टिफिन और स्कूलों में मिलने वाले दोपहर खाने में भी इसे जगह मिलेगी। शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज (मिलेट्स) वर्ष के रूप में मनाने के संयुक्त राष्ट्र महासभा की घोषणा के बाद यह कदम उठाया है। संयुक्त राष्ट्र ने यह घोषणा भारत की पहल पर किया था। इसके तहत स्कूल में बच्चों को सप्ताह में कम से कम एक दिन टिफिन में मोटे अनाज से बना कोई पकवान या खाद्य सामग्री लानी होगी। इस पर अमल की शुरुआत अगले साल जनवरी होगी और आगे भी जारी रहेगी।

मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थ होंगे अनिवार्य

मंत्रालय ने इसके साथ ही सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से कैंटीन में मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थों को अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कहा है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मोटे अनाज को इनमें शामिल करने का सुझाव दिया है। सभी शैक्षणिक संस्थानों से मोटे अनाज से बनने वाले पकवानों की एक सूची भी तैयार करने को कहा है। इस सूची को संस्थानों की कैंटीन और मेस में प्रमुखता से प्रदर्शित करने का भी सुझाव दिया है।

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मोटे अनाज से कुपोषण में आएगी कमी

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस पहल का उद्देश्य नई पीढ़ी को मोटे अनाज और उसके फायदों से परिचित कराना और उन्हें जागरूक करना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में अभी भी करीब 30 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। माना जा रहा है कि पोषक तत्वों से भरपूर मोटे अनाज को उनके भोजन में शामिल करके इससे मुक्ति पायी जा सकती है।

भारत मोटे अनाज के मामले में समृद्ध

मंत्रालय के अनुसार भारत वैसे भी मोटे अनाज और उनसे तैयार होने वाले अनूठे पकवानों को लेकर काफी समृद्ध है। देश के सभी हिस्सों में किसी न किसी मोटे अनाज की पैदावार होती है। भारत मोटे अनाज के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के साथ ही इसके उत्पादन को भी बढ़ावा देने में जुटा है ताकि मांग के आधार पर दुनिया के दूसरे देशों को भी मोटे अनाज मुहैया कराए जा सकें। फूड टेक्नोलाजी विभागों को भी सलाह शिक्षा मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में मौजूद फूड टेक्नोलाजी विभागों को अपने यहां मोटे अनाज से तैयार होने वाले स्वादिस्ट पकवानों पर काम करने का निर्देश दिया है। इनसे इन पकवानों को पैकेट में उपलब्ध कराने की योजना तैयार करने को भी कहा गया है। साथ ही प्रत्येक मोटे अनाज में मिलने वाले पोषक तत्वों का ब्योरा भी लोगों को बताने को कहा है।

भारत में हैं कई तरह के मोटे अनाज

प्रमुख मोटे अनाज भारत में कई तरह के मोटे अनाज हैं, जिनका इस्तेमाल सदियों से भारतीय रसोई में होता रहा है। बीच में जरूर मोटे अनाज आधुनिक भारतीय रसोई से गायब हो गए थे, लेकिन एक बार फिर इनमें लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। वैसे तो मोटे अनाज में मुख्य रूप से तीन फसल यानी ज्वार, बाजरा और रागी (मडुआ) शामिल हैं। लेकिन जौ, कोदो, सांवा, कुटकी, कांगनी चीना जैसे छोटे अनाज भी मोटे अनाज की श्रेणी में शामिल हैं। इनमें से कई फसलों का स्थानीय स्तर पर अलग-अलग नाम होता है।

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