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शिक्षण संस्थानों को अब हर साल देनी होगी अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट, शिक्षा मंत्रालय का क्‍वाल‍िटी पर है फोकस

शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और उन्हें नई ऊंचाई देने के लिए एक मसौदा तैयार किया है। इसमें सभी संस्थानों की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए समान फार्मूला तैयार करने पर जोर दिया गया है। यह फार्मूला इस साल के अंत तक तैयार हो जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Sat, 03 Jun 2023 12:34 AM (IST)
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प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी प्रगति की अब सालाना रिपोर्ट भी देनी होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता का निर्धारण अब अलग-अलग नियामकों या मानकों के तहत नहीं होगा। देश में इसके लिए एकीकृत व्यवस्था तैयार होगी। इसमें किसी भी क्षेत्र से जुड़े उच्च शिक्षण संस्थान शामिल हो सकेंगे। गुणवत्ता निर्धारण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी) का गठन किया जाएगा। यह उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रदर्शन, गवर्नेंस व नियमों का पालन करने आदि प्रमुख मानकों के आधार पर उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी। प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थानों को अपनी प्रगति की अब सालाना रिपोर्ट भी देनी होगी।

शिक्षा मंत्रालय ने तैयार क‍िया मसौदा

शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और उन्हें नई ऊंचाई देने के लिए एक मसौदा तैयार किया है। इसमें सभी उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए समान फार्मूला तैयार करने पर जोर दिया गया है। यह फार्मूला इस साल के अंत तक तैयार हो जाएगा।

मंत्रालय ने क्‍यों उठाया ये कदम?

मंत्रालय ने यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए क्रेडिट फ्रेमवर्क को लागू करने के बाद उठाया है। इसमें छात्रों को क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा दी गई है। यानी कोई भी छात्र अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर जमा क्रेडिट के आधार पर किसी दूसरे कोर्स में दाखिला ले सकेगा। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया में मंत्रालय के सामने बड़ी चुनौती पैदा हो रही थी कि गुणवत्ता के मानकों पर बड़े अंतर पर खड़ा एक संस्थान दूसरे संस्थान से पढ़े छात्र के क्रेडिट को अपने यहां कैसे स्वीकार करे? दोनों संस्थानों में पढ़ाई की गुणवत्ता में भारी अंतर हो सकता है। यही वजह है कि मंत्रालय इस व्यवस्था के पूरी तरह से अमल में आने से पहले ही संस्थानों की गुणवत्ता तय करने के लिए नए नियम-कायदे तैयार करना चाहता है।

सभी संस्थानों से अगले 15 वर्षों की प्रगति का रोडमैप

उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को चुस्त-दुरुस्त करने के साथ ही शिक्षा मंत्रालय सभी संस्थानों से अगले 15 वर्षों की प्रगति का रोडमैप भी ले रहा है। इसमें संस्थान को बताना होगा कि उसकी आगे की क्या बड़ी योजनाएं है। उसका प्रदर्शन किस स्तर पर रहेगा। कौन से नए कोर्सों को शुरू करेगा। किस क्षेत्र में शोध पर उसका फोकस रहेगा। इस दौरान ऐसे उच्च शिक्षण संस्थानों को भी चिह्नित किया जाएगा, जिनका प्रदर्शन ठीक नहीं है। इन संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए इनकी अनिवार्य रूप से मेंटर‍िंग की जाएगी।

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शिक्षा मंत्रालय ने यह पहल तब की है जब देश के सिर्फ चार सौ विश्वविद्यालय और नौ हजार कॉलेज ही राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) की गुणवत्ता से जुड़ी प्रक्रिया में शामिल होते हैं, जबकि देश में वर्तमान में 11 सौ से ज्यादा विश्वविद्यालय और करीब 40 हजार कॉलेज हैं।