राज्यों के पास उत्पादित बिजली पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं, मंत्रालय ने कहा- इस तरह का कोई भी शुल्क गैरकानूनी
केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों के पास किसी भी स्त्रोत (कोयला जल पवन या सौर) से उत्पन्न बिजली पर कोई कर या शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है और इस तरह का कोई भी शुल्क गैरकानूनी और असंवैधानिक है। बिजली मंत्रालय ने 25 अक्टूबर को एक परिपत्र में कहा कि केंद्र के संज्ञान में आया है कि कुछ राज्य सरकारों ने विकास शुल्क की आड़ में विभिन्न स्रोतों से बिजली उत्पादन पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों के पास किसी भी स्त्रोत (कोयला, जल, पवन या सौर) से उत्पन्न बिजली पर कोई कर या शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है और इस तरह का कोई भी शुल्क गैरकानूनी और असंवैधानिक है।
अतिरिक्त शुल्क पर मंत्रालय का ध्यान
बिजली मंत्रालय ने 25 अक्टूबर को एक परिपत्र में कहा कि केंद्र के संज्ञान में आया है कि कुछ राज्य सरकारों ने विकास शुल्क की आड़ में विभिन्न स्रोतों से बिजली उत्पादन पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि यदि उन्होंने इस तरह का कोई अतिरिक्त शुल्क लगाया है तो वे इसे तत्काल वापस लें।
मंत्रालय ने शुल्क लगाने के बताए नियम
संवैधानिक स्थिति पर स्पष्टीकरण देते हुए मंत्रालय ने कहा कि कर/शुल्क लगाने की शक्तियां विशेष रूप से सातवीं अनुसूची में बताई गई हैं। 'सातवीं अनुसूची की सूची-दो प्रविष्टियां-45 से 63 में राज्यों द्वारा कर/शुल्क लगाने की शक्तियों को बताया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-286 स्पष्ट रूप से राज्यों को उन वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति या दोनों पर कोई कर/शुल्क लगाने से रोकता है, जहां आपूर्ति राज्य के बाहर होती है। साथ ही, अनुच्छेद-287 और 288 केंद्र सरकार द्वारा उपभोग की जाने वाली या सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा उपभोग के लिए केंद्र सरकार को बेची जाने वाली बिजली की खपत या बिक्री पर कर लगाने से रोकता है।