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Digital Data Protection Bill: निजी डाटा का गलत इस्तेमाल अब होगा बंद, डीपीडीपी बिल संसद से पारित

डिजिटल डाटा इस्तेमाल करने वाले सभी प्लेटफार्म को देनी होगी डाटा की जानकारी। डाटा रखने या इसके इस्तेमाल के लिए इजाजत जरूरी। नियम के उल्लंघन पर 250 करोड़ तक का जुर्माना और प्लेटफार्म को ब्लाक करने का प्रविधान। विशेष परिस्थिति में सरकार बिना इजाजत कर सकेगी डाटा का इस्तेमाल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद जारी हो जाएगी अधिसूचना। सरकार विशेष परिस्थिति में बिना इजाजत के डाटा का इस्तेमाल कर सकेगी।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Wed, 09 Aug 2023 10:02 PM (IST)
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बोर्ड नियम तोड़ने के बदले 250 करोड़ तक का जुर्माना कर सकेगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डिजिटल डाटा का गलत इस्तेमाल अब बंद हो जाएगा और डाटा को लेकर कंपनियों से लेकर डिजिटल प्लेटफार्म का पूरा रवैया बदल जाएगा। पिछले छह सालों से इस बिल को पारित कराने की मशक्कत चल रही थी। बुधवार को डिजिटल निजी डाटा सुरक्षा (डीपीडीपी) बिल राज्य सभा से पारित हो गया। पिछले सप्ताह यह बिल लोक सभा से भी पारित हो चुका है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी होगी।

अश्विनी वैष्णव ने बिल को राज्य सभा में पेश किया

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल को राज्य सभा में पेश करते हुए कहा कि इस बिल में डिजिटल सेवा का इस्तेमाल करने वाले लोगों को शक्तिशाली बनाया गया है और डिजिटल निजी डाटा का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों पर कई प्रकार की जिम्मेदारी डाली गई हैं। बिल में डिजिटल नागरिक को अपनी सूचना लेने, अपने निजी डाटा को ठीक करने या डिलीट करवाने, शिकायत का निपटान करने का अधिकार दिया गया है।

इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि इस बिल के कानून बनते ही सभी प्लेटफार्म को उन सभी नागरिकों को ईमेल या फोन से यह सूचित करना पड़ेगा कि उनका डाटा उनके पास है। अगर डिजिटल नागरिक उस डाटा को स्टोर करने की इजाजत नहीं देता है तो उस डाटा को उन्हें डिलीट करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि किसी भी डाटा का कलेक्शन बिना नागरिक की मंजूरी के नहीं होगा। डाटा उतना ही लिया जाएगा जितनी जरूरत होगी। जिस उद्देश्य के लिए डाटा लिया जा रहा है, उसकी पूर्ति के बाद प्लेटाफार्म उस डाटा को अपने पास नहीं रख सकेगा। डाटा किसी और को नहीं दिया जा सकेगा।

चंद्रशेखर ने कहा कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार करार दिया था और इस संबंध में कानून लाने के लिए कहा था। वर्ष 2018 में डाटा प्रोटेक्शन बिल का ड्राफ्ट तैयार किया गया और वर्ष 2019 में इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया। समिति से बिल के आने के बाद उनकी सिफारिश के आधार पर डीपीडीपी बिल तैयार किया गया। अब तक भारत में डाटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं था। उन्होंने बताया कि इस बिल के कानून बनने के बाद फेसबुक जैसे प्लेटफार्म भी आपकी तस्वीर, आपके डाले गए कंटेंट का इस्तेमाल किसी रिसर्च या पोल के लिए नहीं कर सकेंगे। अभी इस प्रकार के प्लेटफार्म लोगों के डिजिटल कंटेंट का इस्तेमाल चुनावी रुख तक जानने में करते हैं।

250 करोड़ तक के जुर्माने का भी प्राविधान 

नियम का उल्लंघन करने पर डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड को शिकायत की जा सकेगी। बोर्ड नियम तोड़ने के बदले 250 करोड़ तक का जुर्माना कर सकेगा और दो बार ऐसा करने पर बोर्ड की सिफारिश पर डिजिटल प्लेटफार्म को सरकार ब्लाक भी कर सकेगी। सरकार विशेष परिस्थिति में जैसे कि प्राकृतिक आपदा, राष्ट्रीय सुरक्षा व डाटा रिसर्च के लिए बिना इजाजत के डिजिटल डाटा का इस्तेमाल कर सकेगी।

अन्य परिस्थिति में सरकार पर भी समान नियम लागू होंगे। लेकिन इनोवेशन के लिए विशेष छूट का प्रविधान रखा गया है ताकि डाटा सुरक्षा नियम की वजह से इनोवेशन प्रभावित नहीं हो। इसके लिए रेगुलेटरी सैंडबाक्स बनाया जाएगा और इनोवेशन का काम पूरा होने पर इनोवेशन वाले स्टार्टअप्स को भी डीपीडीपी का पालन करना होगा।

डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड स्वतंत्र एजेंसी के रूप में काम करेगी। किसी व्यक्ति का डाटा लीक हो जाता है और उससे उसको नुकसान होता है तो उस व्यक्ति को क्षतिपूर्ति का दावा सिविल कोर्ट में करना होगा। जिस संस्था से गलती हो जाती है वह चाहे तो स्वैच्छिक रूप से गलती स्वीकारते हुए जुर्माना भर सकता है। उसके खिलाफ फिर कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।