नेताओं के लिए अलग नियम कैसे बनेंगे? ED-CBI के खिलाफ विपक्षी दलों की याचिका पर बोला सुप्रीम कोर्ट
विपक्षी दलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का तर्क है कि 2013-14 से 2021-22 तक सीबीआई और ईडी के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से एक सवाल पूछा।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 05 Apr 2023 03:52 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इस याचिका के माध्यम से विपक्षी दलों ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी जांच एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई से इनकार किए जाने के बाद विपक्षी दलों ने इस याचिका को वापस ले लिया। दरअसल, शीर्ष अदालत ने कहा कि नेताओं के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश नहीं बनाए जा सकते हैं।
CBI-ED के मामलों में 600 फीसदी वृद्धि
विपक्षी दलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि 2013-14 से 2021-22 तक सीबीआई और ईडी के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ईडी द्वारा 121 नेताओं की जांच की गई है, जिनमें से 95 प्रतिशत विपक्षी दलों से हैं।
इसके साथ ही उन्होंने तर्क दिया कि सीबीआई ने 124 नेताओं की जांच की, जिनमें से 95 फीसदी से अधिक विपक्षी दलों से संबंधित हैं।
''एक ही कानून के अधीन हैं हम सभी''
इसी बीच शीर्ष अदालत ने सिंघवी से पूछा कि क्या हम इन आंकड़ों की वजह से कह सकते हैं कि कोई जांच या कोई मुकदमा नहीं होना चाहिए? कोर्ट का कहना है कि अंततः एक नेता मूल रूप से एक नागरिक होता है और नागरिकों के रूप में हम सभी एक ही कानून के अधीन हैं।