Chandrayaan-4: क्यों पड़ी मिशन चंद्रयान 4 की जरूरत, क्या है ISRO का प्लान, चीन भी चांद से लाया ये सामान
अंतरिक्ष में भारत के कदम लगातार बढ़ रहे हैं। इसी को विस्तार देते हुए मोदी कैबिनेट ने बुधवार को इसरो के नए मिशन चंद्रयान 4 को मंजूरी दे दी है। वहीं चीन ने भी एक शोधपत्र जारी किया जिसमें कहा गया है कि चीन के चांगई-6 मिशन द्वारा चंद्रमा के सबसे सुदूर भाग से लाए गए चंद्र नमूनों में पहले से प्राप्त नमूनों की तुलना में कुछ खास मिला है।
पीटीआई, नई दिल्ली। (Chandrayaan-4) केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नए चंद्र मिशन "चंद्रयान-4" को मंजूरी दी है। मिशन चंद्रयान 4 का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आवश्यक तकनीकों को विकसित करना है।
क्यों खास है मिशन चंद्रयान-4?
सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि चंद्रयान-4 मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने (वर्ष 2040 तक नियोजित) और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए मूलभूत तकनीकों को हासिल करेगा। सरकार ने कहा कि डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रमुख तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
चंद्रयान-4 में कितने की लागत आएगी?
बयान में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन चंद्रयान-4 के लिए कुल 2,104.06 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सभी महत्वपूर्ण तकनीकों को स्वदेशी रूप से विकसित किए जाने की परिकल्पना की गई है। इसरो अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार होगा। उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी से इस मिशन के मंजूरी के 36 महीने के भीतर मिशन चंद्रयान 4 पूरा होने की उम्मीद है।
क्या है चीन का मिशन मून?
- गौरतलब है कि चीनी वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित एक शोधपत्र में कहा गया है कि चीन के चांग'ई-6 मिशन द्वारा चंद्रमा के कम खोजे गए सुदूर भाग से लाई गई मिट्टी में अन्य चंद्र नमूनों की तुलना में 'विशिष्ट विशेषताएं' हैं।
- वैज्ञानिकों की एक टीम ने चंद्रमा के सुदूर भाग से चंद्र नमूनों पर प्रकाशित अपने पहले शोधपत्र में मंगलवार को कहा कि चांग'ई-6 मिट्टी के नमूनों में चंद्रमा के अन्य भागों से लिए गए पिछले नमूनों की तुलना में कम घनत्व है, जो अधिक छिद्रपूर्ण और शिथिल संरचना का संकेत देता है।
- चांग'ई-6 नमूनों में प्लेगियोक्लेज़ की मात्रा चांग'ई-5 नमूनों की तुलना में काफी अधिक है, जबकि उनमें ओलिवाइन की मात्रा काफी कम है। अध्ययन में यह भी पता चला कि चांग'ई-6 लिथिक टुकड़े के नमूने मुख्य रूप से बेसाल्ट, ब्रेशिया, एग्लूटिनेट, ग्लास और ल्यूकोक्रेट से बने हैं।
- सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, चांग'ई-6 चंद्र नमूनों के भू-रासायनिक विश्लेषण से पता चला है कि उनमें थोरियम, यूरेनियम और पोटेशियम जैसे ट्रेस तत्वों की सांद्रता अपोलो मिशन और चांग'ई-5 मिशन द्वारा प्राप्त नमूनों से काफी अलग है।