शहरी विकास पर मोदी सरकार ने दिया सबसे अधिक ध्यान, Urban Planning में सुधार के लिए राज्यों को पूरी मदद: पुरी
पुरी ने कहा कि मोदी सरकार ने शहरीकरण की चुनौती को अवसर के रूप में लेते हुए शहरों के विकास पर खर्च छह गुना तक बढ़ाया है। एक समय था जब शहरीकरण के लिहाज से भारत को अनिच्छुक देश समझा जाता था। पुरी ने कहा कि 4900 से अधिक स्थानीय निकायों में मिशन कर्मयोगी के तहत एकीकृत क्षमता निर्माण की जरूरत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने कहा है कि शहरी स्थानीय निकायों के क्षमता निर्माण के लिए नया नजरिया अपनाने की जरूरत है, क्योंकि परंपरागत बुनियादी ढांचा तैयार करने से बात बनने वाली नहीं है। यह सोच अब बीती बात है। पुरी ने कहा कि दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहर ही भविष्य के शहर होंगे। इन पर नए दृष्टिकोण से ध्यान देना होगा।
शहरों के विकास के लिए एकीकृत क्षमता निर्माण की जरूरत: पुरी
शहरी स्थानीय निकायों के क्षमता निर्माण पर आयोजित एक दिन के वर्कशाप में पुरी ने कहा कि 4900 से अधिक स्थानीय निकायों में मिशन कर्मयोगी के तहत एकीकृत क्षमता निर्माण की जरूरत है। इन निकायों में रहने वाले आखिरी व्यक्ति तक सेवाओं का लाभ पहुंचाने, इनके कामकाज की क्षमता बढ़ाने और डिजिटल तकनीक को इनमें शामिल करने के लिए नए इकोसिस्टम की जरूरत है।
शहरी स्थानीय निकायों सरकार ने दी आर्थिक सहायता
पुरी ने कहा कि मोदी सरकार ने शहरीकरण की चुनौती को अवसर के रूप में लेते हुए शहरों के विकास पर खर्च छह गुना तक बढ़ाया है। एक समय था जब शहरीकरण के लिहाज से भारत को अनिच्छुक देश समझा जाता था। यह अनिच्छा आपराधिक अनदेखी की तरह थी, लेकिन पिछले आठ-नौ साल में माहौल पूरी तरह बदल गया है।
2004 से 2014 के बीच शहरी विकास पर केवल 1.78 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 2014 से अब तक 18 लाख करोड़ से अधिक पैसा खर्च किया जा चुका है। शहरी स्थानीय निकायों को इस दौरान कहीं अधिक आर्थिक सहायता मिली है।
13वें वित्त आयोग ने निकायों को 23,111 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन 15वें वित्त आयोग के तहत इसकी छह गुना राशि यानी 1,55,628 करोड़ रुपये निकायों को मिले हैं। पुरी ने कहा कि नियोजित शहरी विकास सबसे अधिक जरूरी है। शहरी नियोजन से संबंधित सुधारों के लिए राज्यों को सीधे पैसे दिए गए हैं। बिल्डिंग बाइलाज का आधुनिकीकरण, ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट, रियायती आवास, जीआइएस आधारित मास्टर प्लानिंग और आनलाइन भवन निर्माण अनुमति सिस्टम जैसे कदम शहरी विकास की प्राथमिकता के रूप में तय किए गए हैं।
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इस वर्कशाप का आवासन और शहरी विकास मंत्रालय के साथ संयुक्त रूप से आयोजन करने वाले कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन के अध्यक्ष आदिल जैनुलभाई ने समारोह से इतर बताया कि क्षमता निर्माण का पायलट प्रोजेक्ट छह शहरों-अहमदाबाद, राजकोट, मैसूरु, पुणे, नागपुर और भुवनेश्वर में चलाया गया। नए भारत के लिए सभी स्थानीय निकायों का विकास जरूरी है। इस प्रोजेक्ट के अनुभव बाकी निकायों के साथ साझा किए जा रहे हैं।
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