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    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक्शन में सरकार, आवारा कुत्तों के लिए अब उठाया बड़ा कदम; राज्य सरकारों को भी अल्टीमेटम

    Modi Government On Stray Dogs आवारा कुत्तों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार हरकत में आई। सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 70% कुत्तों की नसबंदी और एंटी-रैबीज टीकाकरण अनिवार्य किया है। ऐसा न करने पर राज्यों की जवाबदेही तय होगी। केंद्र सरकार नसबंदी व टीकाकरण के लिए प्रति कुत्ता 800 रुपये का अनुदान देगी।

    By Arvind Sharma Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sun, 24 Aug 2025 07:51 PM (IST)
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    Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक्शन में केंद्र सरकार

    अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। आवारा कुत्तों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद केंद्र सरकार भी हरकत में आ गई है। अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है कि उन्हें कम से कम 70 प्रतिशत कुत्तों की नसबंदी और एंटी-रैबिज टीकाकरण करना अनिवार्य होगा।

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    पहले केंद्र की भूमिका केवल सुझाव तक सीमित थी, अब इसे बाध्यकारी बनाकर राज्यों की जवाबदेही तय कर दी गई है। प्रत्येक राज्य को हर महीने अपनी प्रगति रिपोर्ट भेजनी होगी, ताकि कार्रवाई केवल कागजों में बंद न रह जाए।

    तत्काल ब्यौरा भी मांगा गया

    सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट कहा है कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उनकी मूल जगह पर ही छोड़ा जाए। इसी निर्देश के अनुरूप केंद्र ने भी अपनी नीति बदली है। पशुपालन मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि यदि कोई राज्य पीछे रहा तो उसकी जवाबदेही तय होगी। केंद्र की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पत्र की प्राप्ति की पुष्टि और तत्काल कदमों का ब्यौरा भी मांगा गया है।

    केंद्र ने राज्यों को लक्ष्य के साथ-साथ साधन भी दिए 

    • नसबंदी और टीकाकरण पर प्रति कुत्ता 800 रुपये तथा प्रति बिल्ली 600 रुपये का अनुदान का प्रबंध किया जाएगा।
    • बड़े नगरों में फीडिंग जोन, रैबिज नियंत्रण इकाइयां बनाने एवं आश्रय स्थलों के उन्नयन के लिए अलग से फंड दिया जाएगा।
    • छोटे आश्रयों को 15 लाख रुपये और बड़े आश्रयों को 27 लाख रुपये तक सहायता मिलेगी।
    • पशु अस्पतालों एवं आश्रयों के लिए दो करोड़ रुपये का एकमुश्त अनुदान दिया जाएगा।

    नसबंदी एवं टीकाकरण का काम

    केंद्र ने राज्यों को लिखे पत्र में संशोधित पशु जन्म नियंत्रण मॉडल को मानक संचालन प्रक्रिया के रूप में अपनाने को कहा है। बड़े नगरों में भोजन क्षेत्र, चोबीसों घंटे हेल्पलाइन एवं रैबिज नियंत्रण इकाइयों की स्थापना पर विशेष जोर है, ताकि नसबंदी एवं टीकाकरण का काम बिना रुकावट चलता रहे। इससे अनियंत्रित प्रजनन पर अंकुश लगेगा और नागरिक सुरक्षा में ठोस सुधार होगा।

    आशा कार्यकर्ताओं की भागीदारी भी जरूरी

    योजना को जमीन पर उतारने के लिए स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं और आशा कार्यकर्ताओं की भागीदारी भी जरूरी मानी गई है। मोहल्ला-स्तर पर इन्हीं की मदद से कुत्तों की पहचान, मानवीय तरीके से पकड़ना, उपचार, टीकाकरण और पुनःस्थापन का काम तेज होगा। समुदाय की भागीदारी से विवाद भी कम होंगे और निगरानी बेहतर बनेगी।

    केवल संख्या नहीं, बीमारी भी चिंता का विषय

    केंद्र का मानना है कि चुनौती केवल कुत्तों की बढ़ती संख्या नहीं है, बल्कि इनके काटने से लोगों में फैलने वाली बीमारी भी है। रैबिज जानलेवा है; इसलिए टीकाकरण जरूरी है। इसलिए राज्यों को निर्देश है कि वे विस्तृत मासिक रिपोर्ट पशु कल्याण बोर्ड को भेजें। इन्हीं रिपोर्टों पर तय होगा कि किस राज्य ने नियमों और अदालत के निर्देशों का पालन कितनी गंभीरता से किया।

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