मॉडल खेती का प्रारूप तैयार कर रही मोदी सरकार, छोटे किसानों को होगा लाभ; खेतों में जाएगी विज्ञानियों की टीम
मोदी सरकार अब मॉडल खेती का प्रारूप बनाने में जुटी है। इससे छोटे किसानों को फायदा होगा। किसानों को छोटे खेतों में तकनीक के माध्यम से अच्छी पैदावार के गुर सिखाए जाएंगे। विज्ञानियों की टीम साल में एक महीने खेतों में प्रवास भी करेगी। यह जानकारी कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साझा की। किसानों और विज्ञानियों को भी जोड़ा जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार छोटे किसानों के समग्र विकास पर जोर दे रही है। इसके तहत दो-ढाई एकड़ जमीन वाले सीमांत किसानों के लिए मॉडल फार्म बनाए जा रहे हैं। प्रारूप तैयार किया जा रहा है, जिसमें बताया जाएगा कि किसानों को छोटे खेत में उन्नत उत्पादन के लिए क्या-क्या करना चाहिए।
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कृषि मंत्री ने की घोषणा
कृषि विज्ञानियों की टीम वर्ष में एक महीने तक गांवों में किसानों के बीच प्रवास करेगी। खेती की तकनीक बताएगी। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 96वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उक्त जानकारी दी।किसानों की आय बढ़ाने पर जोर
आईसीएआर एक स्वायत्त निकाय है, जिसकी स्थापना 16 जुलाई 1929 को हुई थी। शिवराज ने कृषि के विविधिकरण कर किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने विभिन्न फसलों की 25 किस्में एवं कचरे से बने उत्पाद जारी किए। कार्यक्रम में पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री ललन सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य दूध के निर्यात में भी दुनिया में नंबर वन पर पहुंचने का है।
खाद्यान उत्पादन बढ़ाना होगा
शिवराज ने वैज्ञानिकों को चार वर्ष का लक्ष्य निर्धारित कर काम करने के लिए कहा, जिससे देश को विकसित बनाने में कृषि क्षेत्र की भूमिका बढ़ सके। उन्होंने कहा कि पशु एवं मछली पालन के साथ खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना होगा। आईसीएआर ने अभी तक विभिन्न फसलों की छह हजार किस्में दी हैं। इनमें कई किस्में लैब से लैंड तक पहुंची हैं।किसानों और वैज्ञानिकों को जोड़ना होगा
किसानों और वैज्ञानिकों को भी जोड़ना जरूरी है। सभी 731 कृषि विज्ञान केंद्रों में दो-दो विज्ञानियों को भेजना होगा। कृषि विश्वविद्यालय, वैज्ञानिक और खेत एक साथ जुड़ने चाहिए। उत्पादन बढ़ाने के साथ ही मानव शरीर पर उसके प्रभाव को भी देखना होगा। प्राकृतिक खेती पर अनुसंधान कर श्रीअन्न का उत्पादन बढ़ाना होगा।