Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

चार साल में 25 राज्यों में चुनी जानी है सरकार, पढ़ें 2029 में एक देश-एक चुनाव के लिए क्या है मोदी सरकार का प्लान

One Nation One Election मोदी कैबिनेट ने एक देश- एक चुनाव की मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि कोविन्द कमेटी की सिफारिशों के अनुसार सरकार 2029 से इसे लागू कराने की तैयारी में है लेकिन इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा क्योंकि देश के 24 राज्यों में अगले चार सालों में चुनाव होना है। जानिए क्या हैं इसे लेकर चुनौतियां।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 20 Sep 2024 08:55 PM (IST)
Hero Image
सरकार का प्लान 2029 तक एक देश एक चुनाव लागू कराना है। (File Image)

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। कैबिनेट से एक देश एक चुनाव पर लगी मुहर के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में यह कब से लागू होगा। राम नाथ कोविन्द कमेटी ने अपनी सिफारिशों में 2029 तक इससे जुड़ी तैयारियों को पूरा करने का सुझाव दिया है। ऐसे में यदि इस पर अमल हुआ तो 2029 में भी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जा सकते है।

यह तब संभव होगा जब इससे जुड़ा विधेयक अगले साल के मई तक पारित हो जाए। उसके बाद ही एक साथ चुनाव की एक तारीख भी निर्धारित करनी होगी। कमेटी को दिए अपने सुझाव में विशेषज्ञों ने इसके अमल को लेकर जो रोडमैप तैयार किया है, उसके तहत जैसे ही एक साथ चुनाव की तारीख निर्धारित हो जाएगी तो उसके बाद राज्यों के जो चुनाव होंगे वह उस तारीख को ध्यान में रखते हुए बची अवधि के लिए होंगे।

घटाए या बढ़ाए जाएंगे कार्यकाल

उदाहरण के लिए यदि एक साथ चुनाव की तारीख अप्रैल 2029 में होना तय हो जाता है तो 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा विधानसभा चुनाव अगले दो सालों के लिए होंगे। विशेषज्ञों की मानें तो वैसे तो इन राज्यों के कार्यकाल संविधान संशोधन के जरिए बढ़ाए भी जा सकते हैं, लेकिन ऐसा होने पर विपक्षी दल सवाल खड़ा करेंगे। ऐसे में बची अवधि के लिए चुनाव कराना सही विकल्प होगा।

यह बात अलग है कि यदि निर्धारित तारीख से किसी राज्य का कार्यकाल छह महीने या फिर उससे कम ही बचता है तो फिर चुनाव की जगह उसके कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है। जानकारों की मानें तो इससे जुड़ी सारी स्पष्टता सरकार की ओर से लाए जाने वाले विधेयकों में साफ होगी। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2028 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनका निर्धारित विधानसभा कार्यकाल के आधार पर किया गया है।

इन राज्यों में होना है चुनाव

इनमें 2024 में अभी महाराष्ट्र का चुनाव होना है, जबकि 2025 में झारखंड, दिल्ली व बिहार के चुनाव होंगे। 2026 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव है। वर्ष 2027 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब, गोवा, और मणिपुर के विधानसभा चुनाव है, जबकि वर्ष 2028 में दस राज्यों के विधानसभा चुनाव होने है। इनमें हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, मिजोरम, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं।

आयोग को जुटानी होंगी 25 लाख ईवीएम

कोविन्द कमेटी ने अपनी सिफारिशों में निर्वाचन आयोग को भी समय रहते जरूरी तैयारियों को जुटाने का सुझाव दिया है। ऐसे में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए, तो आयोग को 25 लाख और अतिरिक्त ईवीएम की जरूरत पड़ेगी। मौजूदा समय में आयोग के पास करीब 25 लाख ईवीएम मशीनें हैं, जो लोकसभा के साथ ही अभी सिर्फ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए ही पर्याप्त है। इसके लिए कम से कम तीन साल का समय और आठ हजार करोड़ से अधिक रुपए की भी जरूरत होगी।

देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने दैनिक जागरण को बताया कि लोकसभा और विधानसभा के एक साथ चुनाव कराने की राह में कई दिक्कत नहीं है। सिर्फ ईवीएम की और जरूरत होगी। मौजूदा सयम में ईवीएम तैयार करने वाली सरकारी कंपनियों की क्षमता साल में अधिकतम दस लाख मशीनें तैयार करने की ही है। ऐसे में 25 लाख अतिरिक्त मशीनों को तैयार करने में समय लगेगा।

12 लाख अतिरिक्त कर्मचारियों की होगी जरूरत

उन्होंने बताया कि एक साथ चुनाव के लिए मैनपावर पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। अभी कुल 12 लाख मतदान केंद्रों पर चुनाव कराने के लिए 70 लाख कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है। एक साथ चुनाव कराने पर प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक पोलिंग ऑफिसर की और तैनाती देनी होगी। यानी 12 लाख कर्मचारियों की और जरूरत पड़ेगी। सुरक्षा बलों की भी कुछ ज्यादा जरूरत होगी, लेकिन इसे ज्यादा चरणों में चुनाव कराकर स्थिर रखा जा सकता है।