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कम आय वालों के लिए सरकार का मास्टर प्लान तैयार, एक अक्टूबर से घर-घर होगा सर्वेक्षण

केंद्र सरकार ने हाल ही में किए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मजदूरी में वृद्धि के फैसले के बाद अब शहरों में रहने वाले कम आए वाले परिवारों की पहचान के सर्वे कराने का फैसला किया है। सरकार द्वारा 25 शहरों में शहरी गरीबी की पहचान के लिए 1 अक्टूबर से घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जाएगा। हालांकि इस नई परियोजना के लॉन्च की कोई समयसीमा अभी तय नहीं हुई है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Mon, 30 Sep 2024 06:35 PM (IST)
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घर-घर जाकर सर्वे करते कर्मचारी। (File Photo)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नागरिक निकायों के साथ मिलकर कम आय वाले परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है। सरकार 6 श्रमिक समूहों के बीच शहरी गरीबी के स्तर का सर्वेक्षण करेगी। इनमें निर्माण श्रमिक, गिग श्रमिक, अपशिष्ट श्रमिक, देखभाल श्रमिक, घरेलू श्रमिक और परिवहन श्रमिक शामिल होंगे।

सर्वेक्षण 1 अक्टूबर से शुरू होगा और कोलकाता, चेन्नई, विशाखापत्तनम, आगरा, इंदौर और वाराणसी समेत देशभर के 25 शहरों को कवर किया जाएगा।

लाभार्थियों की मैपिंग

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक बार गणना और प्रोफाइलिंग हो जाने के बाद, विभिन्न केंद्रीय और राज्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे कि सरकारी बीमा कवर के लाभार्थियों को मैप करना आसान हो जाएगा और समग्र रूप से परिवारों को लाभ होगा।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान द्वारा भारत रोजगार रिपोर्ट (आईईआर) 2024 के अनुसार, 2012 में 13.7% की तुलना में 2022 में शहरी गरीबी दर 12.55% थी। लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि शहरीकरण में वृद्धि हुई है, इसलिए शहरी गरीबों की संख्या में वृद्धि हुई है, भले ही प्रतिशत के लिहाज से सुधार हुआ हो।

योजना में बदलाव

शहरी आजीविका मिशन को नया रूप देने पर लंबे समय से काम चल रहा है और इसे 2023 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन 2024 में भी ऐसी कोई पहल नहीं की गई। 180 करोड़ रुपये से वित्तपोषित और विभिन्न क्षेत्रों में फैली यह पायलट परियोजना तीन महीने तक चलेगी।

इस परियोजना से प्राप्त जानकारी का उपयोग एक नई योजना विकसित करने के लिए किया जाएगा जो मौजूदा दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) की जगह लेगी। चुनाव की घोषणा वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से कम से कम एक शहर को शहरों का चयन करते समय ध्यान में रखा गया है।

कौशल संवर्धन

अधिकारी ने यह भी बताया कि इस पायलट के हिस्से के रूप में मौजूदा योजनाओं की कुछ कौशल और सूक्ष्म ऋण सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाएगा। स्व-रोजगार वर्टिकल के तहत ऋण सुविधा की ऊपरी सीमा को व्यक्तियों के लिए ₹4 लाख तक बढ़ाया जाएगा, जो पहले सूक्ष्म उद्यमियों के लिए ₹2 लाख थी।

इसके साथ ही उद्यमिता विकास प्रशिक्षण, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता के साथ-साथ बाजार संबंधों का समर्थन करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। समूह ऋण सीमा को मौजूदा ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख किया जाएगा।

बेहतर आजीविका के अवसर

हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने लक्षित राज्यों और शहरों के अधिकारियों के साथ 23 सितंबर को पायलट कार्यक्रम के लिए एक कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला में MoHUA के सचिव श्रीनिवास कटिकिथला ने कहा कि शहरीकरण विभिन्न अवसर प्रदान करता है और इन अवसरों के माध्यम से शहरी गरीबों, विशेष रूप से युवाओं सहित कमजोर समूहों को बेहतर आजीविका के अवसर मिल सकते हैं।

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