राष्ट्रपति ने मोदी को सरकार बनाने के लिए किया आमंत्रित, 26 को लेंगे पीएम पद की शपथ
नरेंद्र मोदी के मनोनीत प्रधानमंत्री बनने के साथ ही केंद्र में नए युग का औपचारिक आगाज हो गया है। यह इस मायने में महत्वपूर्ण है कि आजादी के बाद जन्मा व्यक्ति पहली बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने जा रहा है। मंगलवार को औपचारिक रूप से भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण दे दिया। शपथ ग्रहण राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में ही सोमवार, 26 मई की शाम को होगा। इसी के साथ मोदी सरकार के गठन की प्रक्रि
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नरेंद्र मोदी के मनोनीत प्रधानमंत्री बनने के साथ ही केंद्र में नए युग का औपचारिक आगाज हो गया है। यह इस मायने में महत्वपूर्ण है कि आजादी के बाद जन्मा व्यक्ति पहली बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने जा रहा है। मंगलवार को औपचारिक रूप से भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण दे दिया। शपथ ग्रहण राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में ही सोमवार, 26 मई की शाम को होगा। इसी के साथ मोदी सरकार के गठन की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई। राष्ट्रपति और नरेंद्र मोदी की मुलाकात में यह संकेत भी दे दिया गया है कि मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले सहयोगियों के नाम पूर्व में ही भेज दिए जाएंगे।
संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में भाजपा और राजग दलों की बैठकों से लेकर राष्ट्रपति भवन तक सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। नरेंद्र मोदी को नेता चुने जाने के लिए हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रत्यक्ष वादे, परोक्ष संकेत, भावुक मोड़ और उल्लास के साथ कुछ बेचैनी जैसे भी पहलू थे। उल्लास तो सुबह से संसद परिसर के हर कोने पर पसरा था, मोदी ने पैर रखते ही यह संकेत दिया कि उनकी कार्यशैली और राजनीति औरों से अलग है। सोच भी भिन्न है। उन्होंने संसद भवन की सीढ़ी को ठीक उसी तरह नमन किया जैसे मंदिर में प्रवेश करते वक्त किया करते हैं। केंद्रीय कक्ष में ठीक 12:00 बजे बैठक शुरू हुई। आडवाणी ने संसदीय दल के नेता के रूप में मोदी के नाम का प्रस्ताव किया और एक-एक कर मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद, करिया मुंडा, मुख्तार अब्बास नकवी समेत अन्य नेताओं ने उसका समर्थन किया। यानी हर वर्ग से नेता मोदी के साथ खड़े दिखे। कुछ ऐसे नेता भी थे जिन्हें स्थान नहीं मिला और उनके चेहरे मायूस दिखे। मोदी के नाम के साथ ही हर बार कक्ष तालियों से गूंजा। नए चेहरों की भरमार थी और हर किसी की उत्कंठा साफ थी कि सरकार गठन से पहले वह एक बार मोदी की सोच जान-समझ लें। लेकिन कुछ पुराने चेहरे ऐसे भी थे, जिनको इस बड़ी जीत ने भी उत्साह नहीं दिया। बहरहाल, कोशिश रही कि इस ऐतिहासिक जीत के जश्न में सबको एकजुट दिखाया जाए। संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह भारी जनादेश कांग्रेस के खिलाफ गुस्से का इजहार नहीं है बल्कि अपेक्षाओं का इजहार है। इसे पूरा करना है और इसमें हर किसी को साथ चलना होगा। लगभग 40-45 मिनट के लंबे भाषण में उन्होंने सरकार की अपनी पूरी सोच बता दी और आश्वासन दिया कि नई सरकार गरीबों और पिछड़ों को न्याय दिलाएगी।