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'नए विश्वास के साथ नए संसद भवन में करेंगे प्रवेश', पीएम मोदी बोले- प्रेरणा देती रहेगी पुरानी संसद

पीएम मोदी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल से लेकर वाजपेयी सरकार के अटल इरादों तक का बराबरी से यशगान किया। आर्थिक सुधारों के लिए नरसिम्हा राव को याद किया तो यह संदेश देने में भी संकोच नहीं किया कि दशकों से लंबित मुद्दों को हल करने का साम‌र्थ्य वर्तमान मोदी सरकार ने दिखाया जिसका साक्षी भी यह सदन रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 18 Sep 2023 11:53 PM (IST)
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यह हमारे 75 वर्ष के हमारे संसदीय इतिहास के सामूहिक प्रयास का परिणाम है: पीएम मोदी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नए संसद भवन में प्रवेश से पहले पुराने भवन से विदाई के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकतांत्रिक मूल्यों की नई लकीर खींचते नजर आए। संसद की ऐतिहासिक इमारत की अंतिम बैठक को संबोधित करते हुए वह भावुक नजर ही नहीं आए, बल्कि उनके भाव और शब्द भी दलगत राजनीति से कहीं ऊपर 75 वर्ष पूर्व रखीं गई देश की प्रगति की नींव से लेकर वर्तमान के शिखर तक को समान रूप छूते और नमन करते नजर आए।

पीएम मोदी ने इन महान शख्सियतों को किया याद

पीएम मोदी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल से लेकर वाजपेयी सरकार के अटल इरादों तक का बराबरी से यशगान किया। आर्थिक सुधारों के लिए नरसिम्हा राव को याद किया तो यह संदेश देने में भी संकोच नहीं किया कि दशकों से लंबित मुद्दों को हल करने का साम‌र्थ्य वर्तमान मोदी सरकार ने दिखाया, जिसका साक्षी भी यह सदन रहा है। मोदी सरकार द्वारा बनाए गए नए संसद भवन में मंगलवार से कामकाज शुरू हो जाएगा।

इस दौरान बुलाए गए सदन के विशेष सत्र की पहली और संसद के इतिहास की इस सदन की अंतिम बैठक सोमवार को यहां हुई। इसमें प्रधानमंत्री मोदी ने इस भवन के इतिहास को याद किया, कई घटनाक्रमों का उल्लेख किया और गौरवशाली उपलब्धियों का श्रेय सभी को दिया। उन्होंने कहा कि हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं।

निर्माण में पसीना, परिश्रम और पैसा देशवासियों का लगा था: पीएम

इस इमारत के निर्माण करने का निर्णय विदेशी शासकों का था, लेकिन हम गर्व से कह सकते हैं कि इसके निर्माण में पसीना, परिश्रम और पैसा देशवासियों का लगा था। हम भले नए भवन में जाएंगे, लेकिन पुराना भवन भी आने वाली पीढि़यों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि चारों तरफ आज भारतवासियों की उपलब्धियों की चर्चा गौरव के साथ हो रही है।

प्लेटफार्म पर गुजारा करने वाले गरीब परिवार का बेटा संसद तक पहुंचा: पीएम

यह हमारे 75 वर्ष के हमारे संसदीय इतिहास के सामूहिक प्रयास का परिणाम है। इस सदन के अनुभव, नोकझोंक, खट्टे-मीठे अनुभवों का उल्लेख करते हुए बोले कि यह हम सबकी साझी स्मृतियां, साझी विरासत हैं। इसका गौरव भी हम सबका साझा है। उन्होंने पहली बार संसद में प्रवेश के दौरान दहलीज पर शीश नवाने का प्रसंग सुनाते हुए इसे लोकतंत्र की ताकत बताया कि प्लेटफार्म पर गुजारा करने वाले गरीब परिवार का बेटा संसद तक पहुंचा।

देश के सामान्य जन की आवाज को इन नेताओं ने किया मजबूत

इसके बाद पुरानी संसद का सफरनामा पीएम मोदी ने शुरू किया तो उनके भावों के बीच में राजनीति कहीं नजर नहीं आई। स्वाभाविक रूप से शुरुआत प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से की। कहा कि राजेंद्र बाबू (डा. राजेंद्र प्रसाद) से डा. अब्दुल कलाम, रामनाथ कोविन्द से लेकर अब राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मु के संबोधन का लाभ हमारे सदनों को मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और डा. मनमोहन सिंह तक लंबी श्रंखला है, जिसने इस सदन का नेतृत्व किया है और देश को दिशा दी है। देश को नए रंग-रूप में ढालने के लिए परिश्रम किया है। आज उन सबका गौरवगान करने का अवसर है। सरदार वल्लभ भाई पटेल, डा. राम मनोहर लोहिया, चंद्रशेखर, लालकृष्ण आडवाणी सहित अनगिनत नाम हैं, जिन्होंने सदन की चर्चाओं को समृद्ध किया, देश के सामान्य जन की आवाज को मजबूत किया।

प्रेरित करती रहेगी नेहरू की स्ट्रोक आफ मिडनाइट

प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन के इतिहास को याद करते हुए कहा- यह वह सदन है, जहां पंडित जवाहर लाल नेहरू को इसलिए भी याद किया जाता है कि उनकी स्ट्रोक आफ मिडनाइट की गूंज हम सबको प्रेरित करती रहेगी। वहीं, अटल जी ने कहा था- सरकारें आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश रहना चाहिए।

पीएम मोदी ने दिलाया याद

मोदी ने याद दिलाया कि पंडित नेहरू की प्रारंभिक मंत्रिपरिषद में बाबा साहेब डा. आंबेडकर थे, जो दुनिया की बेस्ट प्रेक्टिस को भारत में लाने के प्रति आग्रही रहते थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी नेहरू सरकार में वाणिज्य व उद्योग मंत्री थे। उन्होंने जो इंडस्ट्री पालिसी दी, आज भी वही हर पालिसी की आत्मा होती है। इसी तरह लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 के युद्ध में देश के जवानों का हौसला बुलंद करने की प्रेरणा इसी सदन से दी थी। हरित क्रांति की नींव रखी।

पीएम मोदी ने की इंदिरा गांधी की तारीफ

इंदिरा गांधी की तारीफ में पीएम मोदी ने कहा कि बांग्लादेश के मुक्ति के आंदोलन का समर्थन इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था। फिर लोकतंत्र का महत्व समझाते हुए बोले- इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हमला देखा। इसी सदन ने भारत के लोगों की ताकत का अहसास कराते हुए मजबूत लोकतंत्र की वापसी को भी देखा।

पूर्व प्रधानमंत्रियों को किया याद

पूर्व प्रधानमंत्रियों को श्रेय देने के क्रम में याद दिलाया कि यह सदन हमेशा इस बात का ऋणी रहेगा कि चौ. चरण सिंह ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का गठन किया। राजीव गांधी का नाम लिए बना सराहना की कि इसी सदन में मतदान की उम्र 21 से 18 करने का निर्णय हुआ और देश की युवा पीढ़ी को उसका योगदान देने के लिए प्रेरित किया गया। इसी तरह वीपी सिंह, चंद्रशेखर आए। उन्होंने कहा कि लंबे अर्से से एक दिशा में देश जा रहा था।

आर्थिक नीतियों के बोझ तले देश दबा हुआ था, नरसिम्हा राव की सरकार ने हिम्मत के साथ पुरानी नीतियों को छोड़कर नई राह पकड़ने का फैसला किया, जिसका आज देश को परिणाम देखने को मिल रहा है। अटल जी की सरकार भी इसी सदन ने देखी। सर्वशिक्षा अभियान आज महत्वपूर्ण बन गया, आदिवासी कल्याण मंत्रालय, नार्थ ईस्ट मंत्रालय अटल जी ने बनाया। न्यूक्लियर टेस्ट भारत के सामथ्षर््य का परिचायक बना। मनमोहन सिंह की सरकार में कैश वोर वोट को भी सदन ने देखा।

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मोदी सरकार के ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी रहेगा सदन

अपने मुंह से अपनी सरकार का नाम नहीं लिया, लेकिन पीएम मोदी ने संदेश दे दिया कि सदन उनकी सरकार के एतिहासिक निर्णयों का भी साक्षी है। कहा कि सबका साथ, सबका विकास का मंत्र, अनेक ऐतिहासिक निर्णय, दशकों से लंबित विषयों का स्थायी समाधान भी इसी सदन में हुआ। अनुच्छेद 370 भी जम्मू-कश्मीर से हटा। सदन हमेशा गर्व से कहेगा कि इसी सदन के कारण हटा। वन नेशन वन टैक्स जीएसटी इसी सदन ने देखा। वन रैंक, वन पेंशन इस सदन ने देखा और गरीबों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण पहली बार देश में इसी सदन में लागू हुआ।

तेलंगाना पर सधी राजनीति

इस बीच प्रधानमंत्री ने चुनावी राज्य तेलंगाना पर भी सधे शब्दों में राजनीतिक दांव चल दिया। बोले कि सबकी सहमति से कठिन से कठिन कार्य होते हमने देखे हैं। 2000 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार थी। उसी समय छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड का गठन हुआ। सभी ने उत्सव मनाया। यह हमारे सदन का साम‌र्थ्य था, लेकिन कड़वी यादें वह भी हैं कि तेलंगाना के हक को दबाने के लिए भारी प्रयास हुए। खून की नदियां भी बहीं। बनने के बाद न तेलंगाना उत्सव मना पाया, न आंध्र उत्सव मना पाया। कटुता के बीच बो दिए। उत्साह और सहमति के साथ यह काम किया होता तो आज तेलंगाना ऊंचाई पर होता।

जब बहे थे सदन के आंसू

पीएम मोदी ने सदन के सामने आए दुखभरे क्षणों को भी राजनीति से ऊपर उठकर याद किया। कहा कि उमंग-उत्साह के पल के बीच भी कभी सदन के आंख से आंसू भी बहे। यह सदन दर्द से भर गया, जब देश को तीन अपने पीएम अपने कार्यकाल में ही खोने की नौबत आई, वह थे नेहरू जी, शास्त्री जी, इंदिरा जी। तब यह सदन अश्रुभीनी आंखों से उन्हें विदाई दे रहा था।

मोदी के शब्दों में संसद का सफरनामा

इसी भवन में दो साल 11 महीने तक संविधान सभा की बैठकें हुई हैं और देश को संविधान मिला।

इंद्रजीत गुप्ता ने 43 वर्ष तक इस सदन में समय दिया और इस सदन के साक्षी बने। यहां सपा सांसद शफीकुर्रहमान 93 की उम्र में अपना योगदान दे रहे हैं। लोकतंत्र की ताकत है कि 25 की उम्र में सबसे छोड़ी उम्र की सांसद चंद्रमणि मुर्मु बनी थीं। वाद-विवाद, कटाक्ष यह सबकुछ हम सबने अनुभव किया है। हम सबने पहली भी की है। उसके बावजूद परिवार भाव हम लोगों, हमारे पहली वाली पीढ़ी में रहा है। हम कभी कड़वाहट पालकर नहीं जाते। सदन छोड़ने के कई वर्ष बाद भी मिल जाएं तो उस प्यार को भूलते नहीं हैं।

पत्रकारों और संसद के स्टाफ को भी किया याद

पीएम मोदी ने इस दौरान सभी को इस स्वर्णिम यात्रा में भागीदारी बनाने का प्रयास किया। बीच में बैठने वाले संसद के स्टाफ की ओर इशारा करते हुए बोले- हम जनप्रतिनिधि अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं, सातत्य पूर्ण तरीके से हमारे बीच जो टोली बैठती है, उनकी भी कई पीढि़यां बदल गई है। कभी कागज लेकर दौड़ते हैं, उनका भी योगदान कम नहीं है। सदन में कोई गलती न हो जाए, कोई निर्णय गलत न हो जाए, इसके लिए चौकन्ने रहते हैं।

सदन की क्वालिटी आफ गवर्नेंस में तेजी लाने में बहुत बड़ी मदद की है। उन्होंने चाय-पानी पिलाने वालों को भी याद किया। इसी तरह पत्रकारों का उल्लेख किया। कहा कि आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब उन पत्रकार मित्रों को याद करना चाहते हैं, जिन्होंने जीवन भर संसद को रिपोर्ट किया है। वह जीवंत साक्षी रहे हैं। पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाई। जैसी धड़कन यहां की दीवारों में रही है, वैसा ही दपर्ण उनकी कलम में रहा है।

विपक्ष पर मोदी का तंज

अपने भाषण का समापन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए सौभाग्य का अवसर है कि हमें इतिहास और भविष्य की कड़ी बनने का अवसर मिल रहा है। कल और आज से जुड़ने का अवसर मिल रहा है। इसी बीच विपक्षी खेमे की खामोशी देख तंज कसा- बहुत सी बातें सदन में तालियों की हकदार थीं, लेकिन शायद राजनीति उसमें भी आड़े आ रही थी। नेहरू जी के योगदान का गौरवगान यदि इस सदन में होता है तो कौन सदस्य है, जिसका ताली बजाने का मन न करे।

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