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शहर को मात देने को तैयार मोदी का जयापुर

जयापुर गांव पहुंचते ही शुरू में पडऩे वाले प्राथमिक विद्यालय के मुहाने पर सीमेंटेड टाइल्स बनाने वाली मोबाइल फैक्ट्री नजर आई। सामने की कुर्सी पर बैठे दिखे मनोज अंटाला। बताया, पिछले 40 दिनों से गांव के रास्तों पर टाइल्स बिछा रहे हैं। टाइल्स बनाने की मशीन से लेकर निर्माण सामग्री

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Mon, 25 May 2015 11:02 PM (IST)

वाराणसी : जयापुर गांव पहुंचते ही शुरू में पडऩे वाले प्राथमिक विद्यालय के मुहाने पर सीमेंटेड टाइल्स बनाने वाली मोबाइल फैक्ट्री नजर आई। सामने की कुर्सी पर बैठे दिखे मनोज अंटाला। बताया, पिछले 40 दिनों से गांव के रास्तों पर टाइल्स बिछा रहे हैं। टाइल्स बनाने की मशीन से लेकर निर्माण सामग्री तक सब गुजरात से लेकर आए हैं। बताने लगे, यहां पानी का जो भी काम चल रहा है वह विशाल भाई और सचिन भाई, शौचालय निर्माण का कार्य रमेश भाई संभाल रहे हैं। इसी तरह सोलर लाइट का जो भी काम हुआ, वह भी गुजरात की संस्था ने कराया है।


सांसद के आदर्श गांव में सारी रचनात्मकता गुजरातमय। स्थानीयता के नाम पर क्या? जवाब आगे ग्रामीणों ने दिया। बताया, बीच-बीच में चिकित्सक आते हैं शिविर लगाते हैं। कुछ और संस्थाएं आती हैं तो कभी योग कराती हैं, कभी कोई और गतिविधि। गांव डाकखाना, बैंक आदि से जुड़ा, यह स्थानीय कवायद है। जयापुर में स्वास्थ्य व्यवस्था का नितांत अभाव है। यहां की तरक्की के बीच अस्पताल का न होना कई मायनों में बेमानी साबित होता है।

खूबसूरत प्रतीक्षालय व चमचमाता रास्ता


पक्की सड़क छोड़ जयापुर गांव में दाखिल होने वाले रास्ते पर बन गया खूबसूरत बस स्टैंड और प्रतीक्षालय। पीछे पुराना पंचायत भवन था, जिसका अब जीर्णोद्धार हो रहा है। यहां खूब चहल पहल थी। पता चला, एक खबरिया चैनल मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर परिचर्चा करने जा रही है। पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधि आमंत्रित थे। गांव वाले भी परिचर्चा की सजी कुर्सियों की ओर बढ़ चले थे। यहीं से एक रास्ता गांव के भीतर-भीतर जक्खिनी के लिए जाता है। पहले यह खड़ंजा था, अब रंग-बिरंगी सीमेंटेड टाइल्स लकलका रही है। काम अभी चल ही रहा है।

झोपड़ों की जगह अब अटल नगर
जयापुर में एक छोर पर दिखती है शानदार कालोनी। रंग-रोगन और गार्डेनिंग देख किसी की भी उत्सुकता बढ़ जाए। यह अटल नगर है। यहां छह माह पहले झोपडिय़ों में 14 परिवार रहते थे। अब सभी के पास अपना आवास है। अटल नगर में रोशनी का इंतजाम सौर ऊर्जा से किया गया है। गांव के बीच में पहुंचने पर रास्ते के समीप ही बोङ्क्षरग की जा रही है। यहां पंपिंग सेट लगाया जाएगा। इसके जरिए गांव में पेयजल आपूर्ति की जाएगी। एक पंपिंग सेट पहले स्थापित किया जा चुका है। ओवरहेड टैंक के जरिए गांव के बड़े हिस्से में घर-घर पानी पहुंचाया जा रहा है। चूंकि अभी पेयजल आपूर्ति का काम चल ही रहा है, इसलिए गांव के कई टोलों में पानी के लिए महिलाओं, बच्चों को दूर तक का सफर भी करते देखा गया।

गांव भर में 130 सौर ऊर्जा स्ट्रीट लाइट
गांव तो गांव, शहर में भी बिजली कटौती को लेकर हाहाकार मचा रहता है। इसके उलट जयापुर इस मामले में निश्चिंत हो रहा है। गांव में टहलने पर इस निश्चिंतता की वजह नजर आई। गांव के मुख्य रास्ते और पगडंडियां सौर ऊर्जा की स्ट्रीट लाइट से लैस हो चुके हैं। ग्रामीण कहते हैं कि पूरी रात अब गांव में रोशनी रहती है। अभी तक 130 स्ट्रीट लाइटें लग चुकी हैं। घरों में बिजली पहुंचाने के लिए दो सोलर प्लांट तैयार हो रहे हैं। एक सोलर प्लांट के लिए तो जरूरी सामान भी आ पहुंचे हैं। फिलहाल इनसे गांव के साढ़े तीन सौ घर में लाइट-पंखे सौर ऊर्जा से चलेंगे। इतना ही नहीं प्रत्येक घर में सोलर लैंप वितरित किया गया है। इसमें रेडियो भी लगा है, जिस पर ग्रामीण पीएम के मन की बात सुनते हैं। इसके अलावा इसी लैंप में मोबाइल चार्ज करने की भी सुविधा है।

घर-घर शौचालय सफाई की मुहिम
जयापुर में घर-घर शौचालय बन गया है। 250 शौचालय बन चुके हैं, 200 और बन रहे हैं। अत्याधुनिक शौचालयों को प्राथमिक विद्यालय परिसर से लेकर बगीचे और पंचायत मैदान तक में देखा जा सकता है। गांव में युवाओं की टोली हर रविवार अभियान चलाकर पूरे गांव की सफाई करती है। कोई कूड़ा इधर-उधर नहीं फेंकता है। हर घर के सामने कूड़ादान मौजूद है। अब तो कोई खुले में शौच भी नहीं करता है।

पठन-पाठन का पुख्ता इंतजाम


पीएम के सांसद आदर्श गांव में पढऩे-पढ़ाने का इंतजाम भी पुख्ता किया जा रहा है। यहां बीच गांव में ऐसा शानदार आंगनबाड़ी केंद्र बना है जो देखे निहारता रह जाए। यहीं झूला झूलते मिली कक्षा छह में पढऩे वाली काजल। पूछने पर कहा इससे पहले पेड़ की डाल पर झूला डाला जाता था। अब शानदार झूला लग गया है यहां जैसा कि मेले में भी नहीं मिलता। यहीं सामने एक बड़ी इमारत का निर्माण होते दिखा। यह कन्या विद्यालय है जिसका निर्माण अंतिम दौर में है। गांव की दूसरे तरफ जाने पर निर्माणाधीन केन्द्रीय विद्यालय नजर आया। इन सबके अलावा एक प्राथमिक विद्यालय तो यहां पहले से ही है।

गुजरात के उत्साह से चमक रहा जयापुर
जयापुर में जो कुछ भी काम होता नजर आया, उसे करने वाला कोई गुजराती ही था। प्रधानमंत्री के सांसद आदर्श गांव को सजाने के लिए 1500 किलोमीटर का सफर मोदी के गृह राज्य के लोगों के लिए कमतर लगता है, लेकिन संसदीय क्षेत्र की शहरी संस्थाओं के लिए 15 किलोमीटर भी लंबा दिखता है।

एक नजर में मोदी का सांसद आदर्श गांव जयापुर
कुल आबादी : 4200
महिला : 1850
पुरुष : 2150
कुल आवास : 600
कच्चे मकान : 100
ईंट-टिनशेड के मकान : 100
पक्के मकान : 400
परिवार : 811
काश्तकार : 630
खेती योग्य भूमि : 136.888 हेक्टेयर
आबादी बस्ती क्षेत्रफल : 27.105 हेक्टेयर
बाग : 2.864 हेक्टेयर
मुख्य फसल : गन्ना, गेहूं, धान
सब्जी : गोभी, मटर, टमाटर व मिर्च
शिक्षक : पांच
अस्पताल : शून्य
चिकित्सक : शून्य।
गांव का इतिहास :

जब भाग खड़ी हुई औरंगजेब की सेना - यह वाकया करीब 450 वर्ष पूर्व मुगलकाल की है। औरंगजेब की सेना ने तब कहीं जाने के दौरान जयापुर और आसपास पड़ाव डाल दिया। यहां काले हनुमान जी के मंदिर पर उनकी कुदृष्टि पड़ी। अपने आराध्य के प्रति सेना की नेक मंशा न देख जयापुर के पुरखों ने तब इस कदर विरोध जताया और सैनिकों से भिड़ गए कि औरंगजेब के रणबांकुरे सेना सहित गांव छोड़कर भाग गए।