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Money Laundering Case: सुप्रीम कोर्ट से नवाब मलिक को बड़ी राहत, मेडिकल आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एनसीपी नेता नवाब मलिक को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री मलिक को मेडिकल आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत दे दी। मलिक ने ईडी द्वारा जांच किए जा रहे केस में मेडिकल आधार पर जमानत देने से इनकार करने के बंबई हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 11 Aug 2023 04:21 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट से नवाब मलिक को अंतरिम जमानत दी (फाइल फोटो)
दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (11 अगस्त) को एनसीपी नेता नवाब मलिक को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को मेडिकल आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत दे दी। मलिक ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किए जा रहे केस में मेडिकल आधार पर जमानत देने से इनकार करने के बंबई हाई कोर्ट के 13 जुलाई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि मलिक गुर्दे की बीमारी और अन्य बीमारियों के कारण अस्पताल में हैं। पीठ ने कहा, "हम चिकित्सा शर्तों पर सख्ती से आदेश पारित कर रहे हैं और मामले की योग्यता में नहीं जा रहे हैं।"

ईडी ने फरवरी 2022 में किया था गिरफ्तार

ईडी ने कथित तौर पर भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मामले में मलिक को फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता न्यायिक हिरासत में हैं और वर्तमान में मुंबई के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

हाई कोर्ट से मांगी थी राहत

मलिक ने हाई कोर्ट से राहत की मांग करते हुए दावा किया था कि वह कई अन्य बीमारियों के अलावा क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित है। उन्होंने योग्यता के आधार पर जमानत की भी मांग की थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि वह दो सप्ताह के बाद योग्यता के आधार पर जमानत की मांग करने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई करेगा।

मलिक के खिलाफ ईडी का मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा एक नामित वैश्विक आतंकवादी और 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है।