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मानसून के कारण डेंगू के मामलों में हो रही लगातार वृद्धि, डॉक्टरों ने सावधानी बरतने की दी सलाह

Dengue In Karnataka कर्नाटक में भारी बारिश के साथ साथ बिमारियों ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है। बता दें कि यहां बारिश के बीच डेंगू के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कर्नाटक के साथ-साथ केरल तेलंगाना आंध्र प्रदेश ओडिशा और महाराष्ट्र सहित देश विभिन्न जगहों पर डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों ने इसके चलते लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।

By Versha Singh Edited By: Versha Singh Updated: Sun, 30 Jun 2024 02:24 PM (IST)
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कर्नाटक में डेंगू के मामले, डॉक्टरों ने लोगों को दी ये सलाह (प्रतीकात्मक फोटो)
आईएएनएस, नई दिल्ली। पूरे देश में भीषण गर्मी के बीच अब मानसून ने दस्तक दे दी है। लेकिन मानसून के साथ कई बीमारियों वहीं, मानसून ने जहां भीषण गर्मी से राहत दी है, वहीं कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न भागों में डेंगू के मामले भी बढ़ गए हैं।

रविवार को डॉक्टरों ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी। डेंगू एक वेक्टर जनित बीमारी है जो संक्रमित मच्छर के काटने से फैलती है। मच्छर गर्म और आर्द्र वातावरण में पनपते हैं, जिससे यह बीमारी 100 से ज्यादा देशों में फैलती है।

कर्नाटक में डेंगू से 5 लोगों की मौत

बेंगलुरू के बनशंकरी स्थित मदरहुड हॉस्पिटल्स में सीनियर कंसल्टेंट और लीड - पीडियाट्रिक्स और नियोनेटोलॉजी, संतोष कुमार ने आईएएनएस को बताया, बच्चों में पहले के सालों की तुलना में अलग-अलग तरह के डेंगू बुखार होने का जोखिम ज्यादा है। इसका क्लासिकल लक्षण थोड़े समय के लिए बुखार के साथ उल्टी और पेट में दर्द, भूख कम लगना और सामान्य मायलगिया होता है। लेकिन इस मौसम में असामान्य ऊपरी श्वसन संक्रमण और गैस्ट्रोएंटेराइटिस (atypical upper respiratory infections and Gastroenteritis) वाले बच्चे भी डेंगू के लिए पॉजिटिव होते हैं।

कर्नाटक में डेंगू के 5,374 मामले सामने आए और पांच लोगों की मौत हो गई; तेलंगाना में 882 मामले, जबकि आंध्र प्रदेश में डेंगू और मलेरिया दोनों के मामले सामने आए, ओडिशा में 288, केरल के एर्नाकुलम में 400 मामले सामने आए।

उन्होंने बताया कि तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और चकत्ते जैसे लक्षण डेंगू के शुरुआती संकेत हैं।

ये हैं डेंगू के लक्षण

विशेषज्ञों ने कहा कि डेंगू बुखार आमतौर पर सामुदायिक प्रकोप (community outbreak) है और इसका इलाज तुरंत होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह मुख्य रूप से स्वयं ही ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर डेंगू का रूप ले सकता है, जिसे डेंगू रक्तस्रावी बुखार (dengue hemorrhagic fever) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (dengue shock syndrome) भी कहा जाता है।

लगातार उल्टी, पेट में दर्द, श्लेष्मा झिल्ली से रक्तस्राव, तथा रक्तसंचार विफलता के लक्षण डेंगू के अधिक गंभीर मामले का संकेत हो सकते हैं।

एस्टर आर.वी. अस्पताल, बेंगलुरु के प्रमुख कंसल्टेंट (आंतरिक चिकित्सा) अरविंदा एस.एन. ने आईएएनएस को बताया कि प्रारंभिक निदान से इन लक्षणों को कम करने के लिए समय पर दवाएं दी जा सकती हैं, जिससे बीमारी के दौरान रोगी को आराम मिलता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।

उन्होंने कहा, जल्दी निदान से न केवल व्यक्तिगत रोगी को लाभ होता है, बल्कि यह डेंगू वायरस को दूसरों में फैलने से रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बीमारी के दौरान संक्रमित व्यक्तियों की पहचान और उन्हें अलग करने से मच्छरों में वायरस के आगे प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है, जिससे समुदाय में डेंगू संक्रमण का चक्र टूट सकता है।

विशेषज्ञों ने लोगों को सुरक्षात्मक सावधानियां बरतने की भी सलाह दी है, जैसे इकट्ठा हुए पानी से बचना, जहां मच्छर पनप सकते हैं तथा मच्छर भगाने वाली दवाओं का प्रयोग करना, सुरक्षात्मक कपड़े पहनना आदि शामिल हैं।

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