Move to Jagran APP

टीबी के खिलाफ ज्यादा असरदार टीका विकसित, साबित हो सकता है वरदान

टीबी का पूरा नाम ट्यूबरकुल बेसिलाइ है। यह एक छूत का रोग है। इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका जाए तो जानलेवा साबित होता है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है।

By Tilak RajEdited By: Mon, 30 Oct 2017 11:25 AM (IST)
टीबी के खिलाफ ज्यादा असरदार टीका विकसित, साबित हो सकता है वरदान
टीबी के खिलाफ ज्यादा असरदार टीका विकसित, साबित हो सकता है वरदान

नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। भारतीय वैज्ञानिक टीबी के खिलाफ एक ज्यादा असरदार और प्रभावकारी टीका बनाने में सफल हुए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस नए टीके को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, वीपीएम 1002 नाम का यह टीका वर्तमान में प्रयोग हो रहे बीसीजी टीके पर आधारित है। फिलहाल ये केवल बच्चों के उपचार में प्रयोग में लाया जाता है और ये युवाओं और वयस्कों पर असर नहीं करता है। अब ये ज्यादा प्रभावशाली और असरदार हो जाएगा, जो किसी भी आयु के टीबी के मरीज का उपचार करने में कारगर होगा।

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन टूबक्र्यलोसिस (एनआइआरटी), चेन्नई के प्रभारी निदेशक डॉ. श्रीकांत प्रसाद त्रिपाठी ने भरोसा जताया है कि इस नए टीके को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी और फिर ये आमजन के लिए उपलब्ध होगी।

भारत के लिए वरदान साबित हो सकता है नया टीका
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल इस बीमारी के एक करोड़ 40 लाख मामले सामने आते हैं, जिनमें से अकेले भारत में ही करीब 28 लाख मामले होते हैं। ऐसे में अगर यह नया टीका सफल साबित होता है और इसे स्वीकृति मिल जाती है तो यह भारत के लिए वरदान साबित हो सकता है।

मरीज हुए कम, पर लक्ष्य अभी दूर
डॉ. त्रिपाठी के मुताबिक, वर्ष 2000 में भारत में टीबी के एक लाख की आबादी पर 289 मामले सामने आए थे। इसे रोकने में कुछ सफलता मिली है। इस वर्ष एक लाख पर 217 मरीज हैं। इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित लक्ष्य से हम बहुत पीछे हैं, जो वर्ष 2015 में एक लाख की आबादी पर 55 तय किया गया था। इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे वैज्ञानिकों के मुताबिक, भारत में टीबी की बीमारी घातक स्तर पर है। यही वजह है कि इस नए टीके के क्लीनिक ट्रायल के अलावा इसके उपचार के लिए और भी विकल्प तलाशे जा रहे हैं।

क्या है यह रोग
टीबी का पूरा नाम ट्यूबरकुल बेसिलाइ है। यह एक छूत का रोग है। इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका जाए तो जानलेवा साबित होता है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। टीबी को तपेदिक, क्षय रोग तथा यक्ष्मा जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। टीबी रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डियों, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि में।

इस तरह फैलता है
टीबी के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं।

यह भी पढ़ें: महज एक गोली खाने से मिलेगा टीबी से छुटकारा