प्रधानमंत्री संग्रहालय पर विवाद गलत, संग्रहालय में नेहरू को पहले से ज्यादा स्थान: नृपेंद्र मिश्र
नेहरू स्मृति संग्रहालय एवं पुस्तकालय का नाम प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय किए जाने पर मची राजनीतिक खींचतान से परे वास्तविकता कुछ अलग ही है। सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा थी कि इस संग्रहालय को ऐसा स्वरूप दिया जाए जिसे देखकर नई पीढ़ी जान सके कि अबतक रहे प्रधानमंत्रियों का देश के उत्थान में क्या-क्या योगदान रहा।
कांग्रेस ने जताया कड़ा एतराज
नेहरू स्मृति संग्रहालय एवं पुस्तकालय का नाम प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय किए जाने पर कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है। पार्टी नेताओं ने इसे पंडित नेहरू के प्रति भाजपा की दुर्भावना बताया है, जबकि नृपेंद्र मिश्र की नजर में सरकार का यह कदम सिर्फ नेहरू ही नहीं, बल्कि सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को उचित सम्मान देने वाला है।क्या कुछ बोले नृपेंद्र मिश्र?
नृपेंद्र मिश्र मानते हैं कि इस कार्य को राजनीतिक नहीं, बल्कि रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टि से देखते हुए विवाद या आरोप-प्रत्यारोपों से बचा जाना चाहिए। वहीं, कांग्रेस के राजनीतिक आरोपों पर भाजपा नेताओं ने भी उन्हीं तेवरों में पलटवार किया है।चूंकि पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे, इसलिए उनके योगदान को और बेहतर ढंग से प्रदर्शित किया गया है। संग्रहालय का विस्तार करते हुए नेहरू जी की अन्य उपलब्धियों को भी यहां स्थान दिया गया है। उन्हें पहले संग्रहालय में जितना स्थान मिला था वह पूर्ववत रखते हुए और ज्यादा विस्तार दिया गया है।
कांग्रेस पर बरसे धर्मेंद्र प्रधान
प्रधान ने कहा कि जिन चाटुकारों की प्राथमिकता 'परिवार' के अधीन रहना है, उन्हें हमेशा पेट में दर्द रहेगा। वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस, जयराम रमेश और पीएम नरेन्द्र मोदी की सोच में बुनियादी अंतर है। वे (कांग्रेस) सोचते हैं कि केवल नेहरू जी और परिवार ही मायने रखते हैं। पीएम मोदी ने देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को संग्रहालय में सम्मानजनक स्थान दिया है। उन्होंने कांग्रेस से प्रतिप्रश्न किया,जयराम रमेश जी, आप जैसे लोग ही अन्य प्रधानमंत्रियों की तुलना से अधिक नाराज और असुरक्षित प्रतीत होते हैं। क्या लाल बहादुर शास्त्री, पी.वी. नरसिम्हा राव के कार्यों को स्वीकार करना नेहरूवादी विरासत को विकृत करने का प्रयास है?
लाल बहादुर शास्त्री को वहां जगह क्यों नहीं मिली? वहां न तो इंदिरा गांधी थीं, न राजीव गांधी, न मोरारजी देसाई, न चौधरी चरण सिंह, न अटल बिहारी वाजपेयी, न आइके गुजराल, न एचडी देवेगौड़ा। जब सभी प्रधानमंत्रियों को जगह मिल रही है तो यह प्रधानमंत्री स्मृति पुस्तकालय बन रहा है।